एक ग़ज़ल- शिक्षा विभाग को समर्पित।
हर शख्स मुब्तला है
ये दौरे- तबादला हैं।।
एक हुक सी जगी है,
उम्मीद भी जवां है,
अपने वतन से अब,
आने लगी हवा हैं।
हर शख्स मुब्तला है..!
एक उम्र तो कटी,
अपनों से दूर रहकर,
अब बस यही तमन्ना
दो पल गुजारे हँसकर!
हर शख्स मुब्तला हैं….!
एक कैद में जो गुजरी
दानो की बस ललक में
अब वो ही हम परिंदे
अब उड़ेंगे फिर फलक मे!
हर शख्स मुब्तला हैं…!
अब कैद भी है कहती,
कब तलक वो है सहती,
कुछ कायदे दरकार है
क्या सुन रही सरकार है…
हर शख्स मुब्तला है।
ये दौरे तबादला हैं।।।
वो हो जाये तो कम है,
ना हों तो बहुत कम है,
ये सिलसिला रहेगा जारी,
क्योंकि जिंदा अभी हम है।
ये दौरे-तबादला है।।