ए वूमेन अलोन: आँग्ल भाषा में एकाभिनय की एक सशक्त प्रस्तुति ।
रंगमंच वह स्थान है जहाँ आप स्वयम को भूलकर किसी और कि आत्मा को प्रस्तुत करते है व साथ मे होते है कई किस्से व किस्सों की सहायता हेतु सम्वाद !
जयनारायण व्यास स्मृति टाउन हॉल जोधपुर में दिनांक 9 फरवरी 2020 को प्रस्तुत "ए वुमन अलोन " की प्रस्तुति की गई। नोबल पुरस्कार विजेता इतालवी लेखक डारियो फो व उनकी पत्नी फ्रांका रेमे लिखित इस नाटक को निर्देशक उम्मेद भाटी को निर्देशित किया एवम पूजा जोशी ने एकल अभिनय प्रस्तुत किया।
पाश्चात्य मूल्यों से सरोबार इस कहानी में एक नारी के जीवन के उतार-चढ़ावों को सम्वाद माध्यम से अभिव्यक्त करने का खूबसूरत प्रयास किया गया है। उन्मुक्त, स्वच्छंद और खुलेपन से उपजी समस्याओं की परिणीति मानवीय रिश्तों की बिखरने व सामाजिक मूल्यों के पतन में परिलक्षित होती है।
मानवीय रिश्तों के मध्य एक कमजोर सी कड़ी रिश्तों के जहाज में मजबूत लंगर साबित होती है। एक नारी अनेकानेक रिश्तों की भीड़ में भी उन रिश्तों को कदापि नही भूल सकती जिन्होंने उसको मानसिक रूप से मजबूती दी हो अथवा रूहानी रूप से मदद की हो।
भारत मे आँग्ल भाषा के नाटक बहुधा कम ही प्रस्तुत होते है एवं उनके दर्शक भी तुलनात्मक रूप से और भी कम होते है लेकिन टाउन-हॉल में सुधि दर्शको की पर्याप्त उपस्तिथि शहर की सुधि प्रवति बतलाने में समर्थ रही।
इस एकल प्रस्तुति को रंगमंच की वरिष्ठ अदाकारा ने पूर्ण ईमानदारी से जीवंत कर दिया। शहर में आँग्ल भाषा मे एक विस्तृत व एकल प्रस्तुती को देखने का सुअवसर रंगमंच प्रेमियों को उपलब्ध हुआ। वरिष्ठ रंगकर्मी पूजा जोशी ने दर्शकों को अपने अभिनय के हुनर का जलवा मानने पर मजबूर कर दिया।
मंचीय सज्जा उत्तम रही व प्रकाश का स्तरीय उपयोग किया गया। बैकग्राउंड म्यूज़िक प्रसंगानुसार बहुत मधुर था। निर्देशक को एकल प्रस्तुति में बहुत शिद्द्त से प्रत्येक फ्रेम को गढ़ना पड़ता है। इस प्रशंसनीय प्रस्तुति में निर्देशक ने बहुत उच्च स्तरीय प्रयास किये जो कि फाइनल प्रस्तुति में फलीभूत हुए है।
"अलोन वुमन" के सफल प्रस्तुतिकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वरिष्ठ रंगकर्म अदाकारा पूजा जोशी की रही। भाषा पर बेजोड़ नियंत्रण, भावनाओं का उभार, भंगिमाओं की गहराई, आत्मविश्वास की सम्पति व एक बड़ी पटकथा को अक्षरशः आत्मसात कर पाने की अकूत क्षमता ने उन्हें यह मुकाम दिया है।