एक आइडिया: राहुल द्रविड़ द्वारा हर प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक हेतु!
राहुल द्रविड़ ने ” बिट्स पिलानी कन्वोकेशन ” में कॉलेज स्टूडेंट्स को प्रेरणा प्रदान करने वाले अपने स्पीच में अपने अनुभव शेयर किए थे। इस शेयरिंग के दौरान उन्होंने कुछ चीजें प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक हेतु भी इंडिकेट की थी।
स्टूडेंट्स को सपोर्ट दे।
उनके अनुसार सपोर्ट कई बार अप्रत्याशित स्त्रोत से मिल जाता है लेकिन प्रत्याशित जगह से तो मिलना ही चाहिए। द्रविड़ के स्कूल प्रिंसिपल फादर कोएलो ने द्रविड़ के पेरेंट्स को आश्वस्त किया था कि वे द्रविड़ की पढ़ाई पर ध्यान देवे तथा द्रविड़ को क्रिकेट कंटीन्यू करने देवे।
हमको एक प्रधानाचार्य के रूप में अपने हर स्टूडेंट्स को सपोर्ट देना पड़ेगा ताकि कोई भी स्टूडेंट सिर्फ पढ़ाई के कारणों से अपनी नेचुरल प्रतिभा के विकास से वंचित नही हो जाये।
स्टूडेंट्स को वॉच करे।
एक प्रधानाचार्य के नाते हमको स्टूडेंट्स को साइलेंट रूप से वाच करना चाहिए व उनसे बहुत जल्दी रिजल्ट को एक्सपेक्ट नही करना चाहिए। इसके लिए उन्होंने बाँस के पौधे का समीचीन उदाहरण दिया कि बाँस का बीज जमीन में पांच साल तक साइलेंट रहता है लेकिन जब उन्नति करता है तो सबको पीछे छोड़ देता हैं।
बाँस के पौधे का बीज पाँच वर्ष तक निष्क्रिय नही था अपितु अपने विकास का आधार तैयार कर रहा था।
पेरेंट्स के भय व सन्देह को मिटाना है।
शिक्षा के मूल में विद्यार्थी होता है। पेरेंट्स, टीचर्स, स्कूल, सोसायटी व मैनेजमेंट उसका सपोर्ट होते है। हर पेरेंट अपने बच्चे का भविष्य सिक्योर करने के लिए बच्चे को लगातार अच्छी पढ़ाई हेतु प्रोत्साहित करते है।
कई बार कुछ बच्चों में नेचुरल टेलेंट को भी पढ़ाई करने के नाम पर दबा दिया जाता हैं। एक प्रधानाचार्य के रूप में हमकों पेरेंट्स के साथ एक नियमित अंतराल से सम्वाद स्थापित करते हुए बच्चों की प्रतिभा व उसके मुताबिक भविष्य के लिए तैयारी हेतु काम करना होगा।
उपरोक्त व्यक्तत्व राहुल द्रविड़ के एक व्याख्यान पर आधारित है एवम इन विचारों में पर्याप्त इजाफा हर प्रधानाचार्य/संस्था प्रधान कर सकताहै। अगर आपने इस आलेख को पढा है तो आपसे एक टिप्पणी भी अपेक्षित है।
सुरेन्द्र सिंह चौहान।