कोरोनो वायरस : भारत के परिदृश्य में एक स्टडी ।
आज कोरोनो वायरस से पीड़ितों की संख्या सम्पूर्ण विश्व मे फैल रही है। अगर स्टैटिक्स की बात की जाए तो सम्पूर्ण विश्व मे संक्रमित सँख्या साढ़े पांच लाख व मृतकों की संख्या भी 17 हजार को पार कर चुकी है। नवीनतम आंकड़ो के अनुसार भारत मे एक्टिव संक्रमित 828 (कुल संक्रमित 933) से अधिक है।

निश्चित रूप से इन आंकड़ों के गहन विश्लेषण की आवश्यकता है। भारत एक बड़ी जनसंख्या वाला राष्ट्र है। आज इस लोकतांत्रिक राष्ट्र को कोरोना वायरस के समक्ष बड़ी लड़ाई लड़नी है। भारत की विशाल जनसंख्या को रोगमुक्त रखना एक बहुत बड़ी चुनोती है जिस पर केंद्रीय व राज्य सरकारें सक्षमता से खरा उतरने हेतु प्रयासरत है।
भारत के निकटवर्ती राष्ट्रों पर एक नजर डाली जाए तो मामला इस प्रकार है कि नेपाल में 5, म्यांमार में 8, श्रीलंका में 113, पाकिस्तान में 1494, अफगानिस्तान में 110, चीन में 81,394, थाईलैंड में 1245, मलेशिया में 2320 व्यक्ति इससे संक्रमित हुए है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है इस परिदृश्य में सर्वाधिक संक्रमण चीन में हुआ व सर्वाधिक मत्यु के मामले भी यही हुए है।
कुल मिलाकर अगर चीन के अलावा अभी सभी जगह स्तिथि तुलनात्मक रूप से कम भयावह है। मलेशिया, पाकिस्तान व थाईलैंड में मामले एक हजार से अधिक हो चुके है व भारत भी इसी सीमारेखा के समीप खड़ा है। आबादी के मामले में भारत व पाकिस्तान दोनों बहुत बड़े देश है। भारत 134 करोड़ व पाकिस्तान 20 करोड़ की जनसंख्या मिलाकर 153 करोड़ के आसपास हो जाती है। चीन की आबादी 138 करोड़ के आसपास है।
सम्पूर्ण विश्व मे यह परिक्षेत्र सबसे घनी आबादी से भरा है। चीन के बाद में भारत व पाकिस्तान घनी आबादी वाले क्षेत्र है अतः कोरोना वायरस से सम्बंधित सर्वाधिक आशंका इसी क्षेत्र से सम्बंधित है। चीन को मिलाकर अभी मानव हानि इस परिक्षेत्र में 4 हजार से कम है। कोरोना वायरस संक्रमित में मृत्युदर अभी 4 फीसदी से बहुत कम है।
संकट अभी सर पर है। भारत की विशाल जनसंख्या व नजदीकी क्षेत्र में जनसंख्या का बाहुल्य इसे और ही चिंताजनक बना रहा है। सरकारें अपना काम कर रही है। अब सारा मामला नागरिकों के हाथ मे है। सूचना विस्फोट के युग मे अधिकांश नागरिक कोरोना से बचाव के उपायों को लेकर समझ रखते है लेकिन मामला अब नागरिकों द्बारा रखे जाने वाले धैर्य व संयम से जुड़ा हुआ है। अधिकतम बचाव रखकर ही इस आपदा से सकुशल निकलना सम्भव हो सकेगा।
अगर विश्व परिदृश्य में देखा जाए तो प्रत्येक देश ने इस आपदा का सामना अपने संसाधनों व तरीको से किया है। कोरोना से हुई हर मृत्यु गम्भीर मानवीय क्षति है व सम्पूर्ण मानवता इससे पीड़ित है। इसके बावजूद भी यह स्थापित सत्य है कि कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों में मृत्यु उन मामलों में अधिक हुई है जो पहले से दिल, डायबिटीज, सांस , हाइपरटेंशन आदि के वरिष्ठ नागरिक थे। इम्पीरियल कॉलेज इंग्लैंड की इस स्टडी के बावजूद अभी इस सम्बंध में पुष्ट धारणा नही बनाई जा सकती।


अभी समय की मांग है कि सभी राष्ट्र अपने सम्पूर्ण संसाधनों को कोरोना वायरस के विरुद्ध झोंक कर इस आपदा से मुक्त हो तत्पश्चात सभी प्रकार के जीवित वायरस के विरुद्ध एक अंतरराष्ट्रीय कार्ययोजना का निर्माण हो तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु कारगर योजना का निर्माण किया जाए।