बालिका शिक्षा: सिर पर जिम्मेदारी पर दिल मे आगे बढ़ने की ललक।
एक तस्वीर सब कुछ बयाँ कर देती है। सोशल मीडिया पर स्कूल गणवेश में सर पर घरेलू ईंधन हेतु लकड़ियों को ले जाती स्कूल अध्ययनरत छात्रा की तस्वीर वायरल हो रही है। यह एक तस्वीर अनेक मुद्दों की तरफ समाज का ध्यानाकर्षण भी कर रही है।
बालिकाओं की कठिन जिंदगी।
समाज मे आज भी घरेलू कार्यो हेतु बालिकाओं की जिम्मेदारी बालकों से कही अधिक है। पुरातन समय से ही बालिकाओं को कठिन जीवन यापन करना पड़ रहा है जो कि आज भी जारी है। बालिकाओं को इन कारणों से पढाई व अपनी व्यक्तिगत रूचियों हेतु बहुत कम समय मिल पाता है।
लड़कियों ने दिए है आश्चर्यजनक परिणाम।
कठोर जीवन जीने के बावजूद भी बालिकाओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे बालकों से कतई कमजोर नही है। समाज के हर क्षेत्र में बालिकाओं के सफलता का परचम फहराया है। आज स्कूल में अध्यापिका पद से लेकर सेना में कमान संभालने का काम मातृशक्ति सफलतापूर्वक कर रही है।
बालिकाओं का विकास: एक नजर आंकड़ो पर।
हमारे देश की महिला साक्षरता दर जो कि स्वतंत्रता मिलने के समय मात्र 8.86% थी वह आज बढ़कर 65.46% ( सन 2011 में, वर्तमान में अनुमानित रूप से 70%) हो गई है। केंद्रीय बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के गत परीक्षा परिणाम में बालिकाओं ने कक्षा दशम में 86.7% सफलता प्राप्त करके बालकों को पीछे छोड़ दिया है। आईआईटी एंट्रेंस व सीए परिणामों के अलावा बालिकाओं ने बालको से कही बेहतर प्रदर्शन किया है। खेल-कूद की दुनिया में आज सानिया मिर्जा, पीवी सिंधु, सायना नेहवाल, मिताली राज, साक्षी फौगाट जैसी सेकड़ो प्रतिभाए देश का नाम रौशन कर रही है वही राजस्थान के छोटे से गाँव से निकलकर कंवर राष्ट्रपति परेड में शान से ध्वज को उठाकर नेतृत्व प्रदान कर रही है।
बालिका सुरक्षा : अभी दूर की कौड़ी।
समाचार पत्रों में बालिकाओं के शोषण की खबरें रोजाना दिल दहला रही है एवम तमाम कठोर कानूनों के बावजूद बालिकाओं के प्रति होने वाले अपराधों के आंकड़ो में निरन्तर इजाफा हो रहा है। सुबह घर से निकली बालिका की जब शाम को घर वापसी होती है तो उसकी सलामती की दुआ माँगती उसकी माता को संतोष मिलता है।
बालिकाओं को अवसर: पर्याप्त नही।
आज केंद्रीय व राज्य सरकारें बालिकाओं को अवसर प्रदान करने के लिए सैकड़ो प्रकार की योजनाओं का संचालन कर रही है लेकिन डॉक्यूमेंटेशन व बाधाओं के कारण आज भी करोड़ो बालिकाओं को इन सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा है।
शिक्षा पद्धति में सुधार की आवश्यकता।
आज यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि हम शिक्षा प्रणाली की वतर्मान व्यवस्था में ही कुछ तकनीकी सुधार करें यथा- गणित व विज्ञान विषय हेतु नवाचार, समय का अधिकतम उपयोग, रुचिनुसार कैरियर निर्माण, वैकल्पिक शिक्षा का सुद्द , अंतरराष्ट्रीय आवश्यकता पर आधारित पाठ्यक्रम निर्माण इत्यादि।
बालिका विकास हेतु हो बाधा रहित सुविधा।
आज यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि बालिकाओं को उपलब्ध सुविधाओं की प्राप्ति का मार्ग सरल किया जाए एवम न्यूनतम डॉक्यूमेंटेशन रखा जाए। वर्तमान सुविधाओं को जारी रखते हुए भी ऐसी योजनाओ व सुविधाओं को प्लान किया जाए जिसमें जाति, वर्ग व आय आधार पर कोई भेद नही हो।
बालिकाओं का भविष्य: अत्यंत उज्ज्वल।
गत दशकों में बालिकाओं ने तमाम बाधाओं को पार करके सफलता का परचम फहराया है एवम उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे अपनी प्रतिभा का विकास कर के एक नया इतिहास रचेगी व सुखी, सम्रद्ध व शक्तिशाली भारत के निर्माण की बुनियाद रखेंगी।