विद्यालय का परीक्षा परिणाम कैसे सुधारे?
बोर्ड परीक्षा परिणाम उन्नयन योजना : स्कूल, अभिभावक व विद्यार्थी स्तर पर करणीय कार्य की सूची।
परीक्षा परिणाम उन्नयन योजना की आवश्यकता
बोर्ड परीक्षा परिणाम उन्नयन योजना की आवश्यकता
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान अजमेर की सम्पूर्ण राष्ट्र में अपनी विशिष्ट पहचान है। प्रत्येक विद्यालय शिक्षा क्षेत्र में अपनी अनूठी पहचान रखना चाहता है । अपनी उज्जवल परम्परा को कायम रखने हेतु आवश्यक है कि विद्यालय अपने विद्यालय के बोर्ड परीक्षा परिणाग के उन्नयन हेतु व्यक्तिगत व सामूहिक प्रयास करे ताकी विद्यालय का समग्र परीक्षा परिणाम संख्यात्मक व गुणात्मक रूप से प्रगति पथ पर अग्रसर हो सके। बोर्ड परीक्षा में मात्र 30 दिन शेष है अतः समयवद्ध “बोर्ड परीक्षा परिणाम उन्नयन” योजना का निर्माण व अनुपालना आवश्यक है।
बोर्ड परीक्षा परिणाम उन्नयन योजना का उद्देश्य :
1. विद्यालय में सभी विद्यार्थियों में पाररपरीक सकारात्मक प्रतियोगिता का भाव विकसीत
करना ।
2. विद्यालय की जिला स्तरीय रैंकिग में सुधार व विद्यालय को प्रथम पाँच जिलों में सम्मिलित करना।
3. बोर्ड परीक्षा परिणामों में संख्यात्मक व गुणात्मक सुधार।
4. विद्यालय के कुशाग्र विधार्थियों को बेहतर अवसर देना।
बोर्ड परीक्षा परिणाम उन्नयन योजना के क्षेत्र :
1. विद्यालय स्तर ।
2. अभिभावक स्तर/व्यक्तिगत स्तर पर।
3. विद्यार्थी स्तर पर।
विद्यालय स्तर पर करणीय कार्य /प्रयास :
1.संस्था प्रधान द्वारा अविलम्ब :
* कक्षा 10 व 12 के अर्द्ध वार्षिक परीक्षा परिणाम की समीक्षा पश्चात स्तरानुसार विधार्थियों का वर्गीकरण करना।
* वर्गीकरण पश्चात सीमा स्तर पर ( Marginal Students) चिन्हित विधार्थियों के अभिभावकों से संवाद स्थापित करना व विधार्थियों को सम्बलन (Support) प्रदान करना।
* जीरो पीरीयड़ के माध्यम से कक्षा 10 व 12 के विधार्थियों को विषयवार परीक्षा हेतु तैयारी करवाना।
* विषयाध्यापकों व बोर्ड कक्षाओं के शिक्षकों के साथ बैठक करके शेष समय में करणीय कार्यों की समयबद्ध सूची बनाना व निरन्तर फोलोअप करना।
2. शिक्षकों के साथ कार्य योजना को साझा करना :
* शिक्षकों के साथ मिलकर निर्मित हुई योजना का रोजाना फोलोअप करना।
* विषयाध्यापकों को निर्देशित करना कि कक्षा में रोजाना 6 संभावित प्रश्नों पर विधार्थियों की तैयारी करवाये।
* पिछले वर्ष के बोर्ड परीक्षा प्रश्न पत्रों व मॉडल पेपर की निरन्तर मदद प्राप्त करे।
* शिक्षक साथी ब्लयू प्रिन्ट के अनुसार उस पाठ/ईकाई को बोर्ड परीक्षा में दिए जाने वाले अंकभार का निरन्तर ध्यान में रखे।
* शिक्षक साथी बोर्ड परीक्षा तैयारी के समय सकारात्मक माहौल कक्षाकक्ष में बनाए रखे तथा तैयारी के समय सरल प्रश्न सदैव शामिल रखे ताकि सीमान्त व औसत स्तर के विद्यार्थी सम्बलित हो एवं उनमें नकारात्मक भाव कदापि नहीं आ सके।
* प्रत्येक शिक्षक अपने द्वारा करणीय कार्य योजना का लिखित अभिलेख अवश्य संधारित करे तथा संस्था प्रधान के साथ निरन्तर संवाद स्थापित रखे।
* शिक्षक स्वयं के द्वारा तैयार किए गए प्रश्न-बैंक में अथवा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रदत् परीक्षा सामग्री से पूर्व सूचित साप्ताहिक,
मासिक व प्री-बोर्ड परीक्षा का आयोजन करे।
* संस्था प्रधान परीक्षा समय विधार्थियों को तनाव मुक्त रहकर परीक्षा की तैयारी में जुटने हेतु प्रार्थना सभा व सूचना पट्टों पर सकारात्मक संदेश लेखन करवाए।
* प्रथम प्री-बोर्ड परीक्षा 50 प्रतिशत पाठ्यक्रम पर आधारित हो एवं द्वितीय प्री-बोर्ड परीक्षा सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित हो।
* पाठ्यक्रम को चार भागों में बाटा जाकर प्रथम दो भाग प्रथम प्री-बोर्ड व अन्तिम दो भाग द्वितीय प्री-बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित करना भी श्रेयस्कर है।
* बोर्ड परीक्षा से पूर्व बोर्ड परीक्षा में प्रविष्ट होने वाले विधार्थियों विशेषकर 5, 8 व 10 बोर्ड के विधार्थियों को परीक्षा के समय उत्तर पुस्तिका को भरने के लिए विधार्थियों को प्रशिक्षित किया जा सकता है। प्रत्येक विधार्थियों को उसका रोल नम्बर याद करवाना, शब्दों व अंको में लिखवाने का अभ्यास करवाया जाना अपेक्षित है।
* अन्य समान स्तर का विद्यालय नजदीक होने पर प्री-बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं की जाँच दूसरे विद्यालय के अध्यापक से करवाकर उनसे प्राप्त सुझावा को भी विधार्थियों से शेयर करना अपेक्षित है।
* जिन विषय के पद रिक्त है, उनके लिए SMC से सहयोग प्राप्त कर स्थानीय व्यक्तियों से सहयोग प्राप्त कर प्रशिक्षित अध्यापक की सेवा प्राप्त करनी अपेक्षित है।
* बोर्ड परीक्षाओं की जाँच व पृष्ठपोषण (फीड बैक) माह फरवरी के अन्त तक किया जाना
अपेक्षित है।
* आवश्यकता प्रतीत होने पर अवकाश के दिन का भी बोर्ड परीक्षा तैयारी हेतु उपयोग किया जाए।
अभिभावक स्तर पर करणीय कार्य :
संस्था प्रधानों से यह अपेक्षित है कि वे स्वयं के माध्यमों से अभिभावकों से संवाद स्थापित करते हुए उन्हे निम्न कार्य करने हेतु प्रेरित करे :
* विधार्थियों को नियमित रूप से विद्यालय भेजने हेतु ।
* विधार्थियों को पढ़ाई करने हेतु घर में सकारात्मक वातावरण निर्माण करने हेतु ।
* विधार्थियों को घरेलू कार्यों से मुक्त रखने हेतु।
* विधार्थियों द्वारा प्रतिदिन स्कूल में किए गए कार्य के अवलोकन व हस्ताक्षर हेतु।
* संस्था प्रधान से आवश्यक होने पर संवाद स्थापित करने हेतु।
* विधार्थियों को तनावमुक्त रहकर परीक्षा तैयारी हेतु प्रोत्साहित करने हेतु।
* विधार्थियों को परीक्षा तैयारी हेतु संसाधन उपलब्ध करवाने हेतु।
विद्यार्थी स्तर पर करणीय कार्य:
* नियमित रूप से विद्यालय आना एवम कक्षाकक्ष शिक्षण में ध्यान देना।
* प्रत्येक विषय की पाठ्यपुस्तक की अनुक्रमणिका आधार पर स्वयम हेतु मुश्किल क्षेत्र चिन्हित कर सम्बंधित विषय अध्यापक से मार्गदर्शन लेना।
* परीक्षा की तैयारी पर ध्यान केंद्रित रखना ना कि सम्भावित परीक्षा परिणाम पर।
* परीक्षा काल मे सामाजिक गतिविधियों का परित्याग करना।
* खुद का स्वास्थ्य अच्छा रखने हेतु साधारण भोजन करना एवम हल्का-फुल्का व्यायाम करना।
* वर्ष भर में खुद के बनाये नोट्स का दोहराव करना।
* परीक्षा को परीक्षा की भावना से देवे एवम अपना शत प्रतिशत प्रयास सुनिश्चित करे लेकिन पहले से ही परिणाम पर विचार नही करे।
* यदि कोई सहपाठी शैक्षिक मदद मांगे तो सहज रूप से करें।