भारत : कल, आज व कल
भारत : कल , आज ओर कल ।
दिनाँक 18 अगस्त 2020, मंगलवार
भारत वह देश है जिसे सनातन धर्म, शांति, अहिंसा, संस्कृति, वेद-उपनिषद-पुराण-मीमांसा, देवी-देवताओं, शिल्प, सदाचार, इतिहास, ज्ञान-विज्ञान, कला-साहित्य, परम्परा, साधारणता, धर्म-धर्मपरायणता-धार्मिकता, ऐतिहासिक-पृष्ठभूमि, राजा-रजवाड़े, योग-आयुर्वेद-व्यायाम, युद्धकौशल-संचालन, सार्वजनिक-व्यक्तिगत शुचिता, उच्च व आदर्श मूल्यों, धार्मिकता, पौरोणिक सन्दर्भ, जीवनशैली, सतीत्व-वीरता, खान-पान-वेशभूषा, विचारवादिता, प्रेम-वात्सल्य-त्याग, कर्म-उद्योग-व्यापार इत्यादि के साथ ही कर्मकांड, धार्मिक भीरुता, अंधविश्वास, छुआछूत, वर्गभेद, जातिभेद, वर्णव्यवस्था हेतु पहचाना जाता है।
विश्व की सबसे प्राचीन मानवीय व्यवस्था को बहुत बारीक तरीके से देखने, विचार करने व समझने की आवश्यकता है। यह निश्चित है कि आप भारत को समझे बिना विश्व को नही समझ सकते है। विश्व विवेचना हेतु भारत सदैव केंद्रबिंदु रहेगा क्योंकि इसके अधिक विविधतापूर्ण कोई अन्य राष्ट्र नही है। अनेकानेक सकारात्मक कारणों की एकजुटता के कारण ही भारत को “विश्वगुरु” माना गया है। यहाँ की समृद्धशाली शासन व्यवस्था ने ज्ञान को पर्याप्त सरंक्षण व सर्वोच्च महत्व दिया था। विभत्स हमलों में अग्नि के हवाले अनेको पुस्तकालयों के ध्वस्त होने के बावजूद पौरोणिक गर्न्थो, हस्तलिखित पाण्डुलिपियों, धार्मिक पुस्तकों के विशाल भंडार इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
भारत एक विश्व है। सम्पूर्ण विश्व का अस्तित्व भारतवर्ष में मिल जाएगा। प्राकृतिक रूप से यहाँ सभी प्रकार के मौसम, जलवायु व वातावरण मिलते है। आर्थिक रूप से विकसित, विकासशील व अल्पविकसित क्षेत्र यहा उपलब्ध है। सभी प्रकार के गुणों-अवगुणों के साथ ही इस धरा पर भाषाओं, सँस्कृतियो, कलाओं, साहित्य, उद्योगों, व्यापारों, सेवाओं इत्यादि की उपलब्धता है। भारत की यह देवभूमि देववाणी, देवभाषा, देवसाहित्य के साथ ही मूल मानवीय मानदंडों पर मान्य सरल, सात्विक, सत्यनिष्ठ जीवनशैली यहां की पहचान है।
यह कहना समीचीन है कि जिस प्रकार “सौरमण्डल” का अध्ययन सूर्य को , अर्थशास्त्र का अध्ययन मुद्रा को व चिकित्साशास्त्र का अध्ययन प्राण को केंद्र में रखकर करना ही सम्भव है उसी प्रकार मानव के भविष्य का यथार्थपरक, सत्यनिष्ठ व परिणाममूलक अध्ययन वर्तमान, ऐतिहासिक व भावी भारत के अध्ययन के बिना सारहीन ही प्रतीत होता है। भारत की महिमा अनन्त व अपार है। भारत का महत्व कुछ हद तक पृथ्वी के मूल में स्थापित उस चुम्बकीय केंद्रबिंदु से समझा जा सकता है जिसके कारण गुरुत्वाकर्षण शक्ति कार्य करती है।
जिस प्रकार एक केंद्रीय महाशक्ति के प्रभाव के कारण सम्पूर्ण ब्रह्मांड संचालित होता है। सम्पूर्ण व विराट व्यवस्था गतिशील रहती है।
क्रमश: