लक्ष्मी अग्रवाल : एक एसिड अटैक पीड़िता का एसिड के विरुद्ध संघर्ष ।
दीप्ती पादुकोण की फ़िल्म “छपाक” ने निश्चित रूप से आम जनता का भारत मे खुले आम मिलने वाले “एसिड” व इस एसिड से हमारी बालिकाओ व मातृशक्ति पर हुए क्रूर हमले की तरफ ध्यानाकर्षण किया है। ये एसिड अटैक मात्र शरीर पर हमला नही है अपितु नारी के अस्तित्व पर विकृत मानसिकता व नैतिक रुग्णता का प्रतीक बन गए है। आज की जरूरत मात्र खुले बाजार में मिलने वाले एसिड पर रोक से कहीं अधिक मानव मस्तिष्क में बहने वाली उन बीमार कोशिकाओं के इलाज की है जिनमे एसिड चेहरे पर बहने से पहले दिमाग मे घुलता-पलता व पोषित होता है व जिसकी सड़ांध का शिकार कोई भी व कहीं भी हो सकता है।लक्ष्मी अग्रवाल जब 15 वर्षीय अबोध बालिका थी तो उन पर 32 वर्षीय परिपक्व नईम खान ने एसिड अटैक करके उनके चेहरे व उनकी उम्मीदों को झुलसा दिया था। इस अटैक ने लक्ष्मी को शारिरिक व मानसिक रूप से तोड़ते हुए उनको समाज से भी अलहदा कर दिया था। इस पन्द्रह वर्षीय बालिका के संघर्ष को आज सम्पूर्ण समाज ने मान्यता प्रदान की है। लक्ष्मी अग्रवाल ने एसिड अटैक के उन्मूलन के लिए अनेक सार्थक कदम उठाएं।
जनहित याचिका।
लक्ष्मी अग्रवाल ने 27,000 से अधिक लोगो द्वारा समर्थित व हस्ताक्षरयुक्त याचिका एसिड की बिक्री पर रोक लगाने के उद्देश्य से माननीय सुप्रीम कोर्ट में दायर की। उनकी याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को एसिड की बिक्री को विनियमित करने का आदेश दिया, और संसद ने एसिड हमलों के अभियोग को कठोर बनाने तथा एसिड अटैक पीड़ित को देय मुआवजे की राशि मे इजाफा किया।
सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान।
लक्ष्मी अग्रवाल ने सोशल मीडिया #StopSaleAcid अभियान शुरू किया था जिसे राष्ट्रव्यापी सफलता मिली। इस अभियान की अभूतपूर्व सफलता व उनके।अन्य सरोकारी कार्यो के परिप्रेक्ष्य में उन्हें अनेक पुरस्कार मिले है। एसिड अटैक पीड़िताओं की मदद के लिए उन्होंने “छन्न फाउंडेशन” को भी संचालित किया है। लक्ष्मी अग्रवाल को आप उनके ट्विटर हैंडल पर फॉलो कर सकते है। Take a look at Laxmi (@TheLaxmiAgarwal): https://twitter.com/TheLaxmiAgarwal?s=09
विभिन्न पुरस्कार
#StopSaleAcid अभियान की अभूतपूर्व सफलता व उनके।अन्य सरोकारी कार्यो के परिप्रेक्ष्य में उन्हें यूनिसेफ द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण पुरस्कार 2019 प्रदान किया गया है। लक्ष्मी अग्रवाल को यूएस फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा ने 2014 में सम्मानित किया था। प्रसिद्ध भारतीय टीवी चैनल एनडीटीवी ने भी आपको “इंडियन ऑफ दा ईयर” पुरस्कार से नवाजा है।
विपरीत स्तिथि के बावजूद सफलता का वरण।
लक्ष्मी अग्रवाल पर अल्पायु में ही सामाजिक दरिंदगी रूपी “एसिड अटैक” हुआ था। इस घोर सामाजिक, शारिरिक व मानसिक आघात से उभर कर उन्होंने के एनजीओ संचालन करके पीड़ितों को हक़ दिलवाया। जनहित याचिका माध्यम से न्यायिक व्यवस्था में सुधार किया। एक टीवी कार्यक्रम का सफल संचालन किया। सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान संचालित किए। अनेकों अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त किये।
फ़िल्म “छपाक”: फ़िल्म रिव्यू व संवाद।
मेघना गुलजार की प्रस्तुति फ़िल्म “छपाक” में लक्ष्मी अग्रवाल के संघर्ष के कुछ पहलुओं को छुआ गया है। दीपिका पादुकोण ने हमेशा की तरह अपने सधे अभिनय से एसिड अटैक पीड़िता के दर्द व संघर्ष को प्रस्तुत किया है। फ़िल्म एसिड अटैक जैसे ज्वलंत सामाजिक मुद्दे की तरफ आम जनमानस का ध्यानाकर्षण करती है।
फ़िल्म के कुछ चुनिंदा सम्वाद-
1. माँ। नाक नही है, कान नही है, झुमके कहा लटकाउंगी?
2. तुम तो बिना केस लड़े ही हार गईं।
3. चाहे गर्म चाय फेंको चाहे एसिड। सेक्शन तो एक ही लगता है आईपीसी सेक्शन “326”
4. अगर कुछ शहरों में अंडे बिकना बन्द हो सकता है तो देश मे एसिड क्यों नहीं?
5. एसिड फेंकना जितना आसान है उतना ही मुश्किल दोषी को सजा दिलवाना है।
6. चाक़ू बन्द करने से मर्डर होना बंद हो जाएगा क्या?
7. भाई बीमार, बाप शराबी, ख़ुद एसिड पीड़ित व चली है कोर्ट में पीआईएल लगाने? कोर्ट-कचहरी बड़े लोगों के चोंचले है।
8. वो “सरकार” थोड़ी है जो उनसे डरे।
9. एसिड अटैक ज्यादातर उन्ही लड़कियों पर हुआ जो पढ़ना या बढ़ना चाहती थी। एसिड उनके चेहरे पर डालकर उनको उनकी औकात याद दिलाई गई।
10. “अगर कोई आपसे साइलेंट प्यार करता है तो इससे आपको क्या प्रॉब्लम है।” आप अपना काम करते रहिए।
11. बुराई हम सभी मे होती है लेकिन ऐसा क्यों होता है कि कोई इस बुराई पर कंट्रोल खो देता है।
12. एसिड पहले दिल मे घुलता है फिर हाथ मे आता है!फ़िल्म का म्यूजिक बहुत अच्छा व गीतों का स्तर भी सन्तोषप्रद है। इन सबके बावजूद प्रस्तुतिकरण में धीमी रफ्तार के कारण फ़िल्म कुछ स्थानों पर बोझिल होने लगती है। कैनवास की दृष्टि से भी फ़िल्म टोटेलिटी में नार्मल है।