शिक्षा विभाग, राजस्थान के शिक्षकों हेतु अवकाश नियम।
सामान्य निर्देश :-
(1) अवकाश एक सुविधा है, अधिकार नहीं।
(2) कर्तव्य सम्पादन (ड्यूटी पीरियड) के कारण ही अवकाश अर्जित किये जाते हैं ।
(3) अवकाश स्वीकृति अधिकारी राज्य हित में
(अ) माँगा गया अवकाश अस्वीकृत कर दें। (आ) माँगे गये अवकाश की अवधि कम कर दें ।
(इ) पूर्व में स्वीकृत अवकाश को निरस्त कर दें ।
(ई) अवकाश पर प्रस्थान कर चुके कर्मचारी को बीच में सेवा पर वापस बुला सकता है ।
(4) अवकाश स्वीकृत अधिकारी आवंटित अवकाश के बाद प्रकार (टाइटल) में परिवर्तन नहीं कर सकता है।
(5) पूर्व में स्वीकृत अवकाश को कालोत्तर स्वीकृति के बाद अन्य प्रकार के अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता।
बशर्ते-
(अ) अवकाश बदलने का प्रार्थना पत्र अवकाश समाप्ति के तीन माह में प्राप्त हो गया हो ।
(आ) बदला जाने वाला अवकाश उस दिन कर्मचारी को नियमानुसार देय हो ।
(6) सामान्यतया अवकाश पूर्व में स्वीकृत कराना चाहिये तथा प्रार्थना पत्र में यदि मुख्यालय छोड़ना हो तो उसका उल्लेख करते हुए पता लिखना चाहिये ।
(7) कोई भी कर्मचारी अवकाश के दौरान बिना सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के अन्य सेवा या व्यापार नहीं कर सकता है ।
अवकाश के प्रकार
(केवल शिक्षकों हेतु वेकेशन विभाग)
आकस्मिक अवकाश (C. L)
एक जुलाई से 30 जून तक का सत्र, एक सत्र में 15 देय, एक साथ अधिकतम 10 दिनों का देय, अवकाश अवधि में बीच-बीच में आने वाले राजपत्रित अवकाश या रविवार गणना में सम्मिलित नहीं ।
ग्रीष्मावकाश के क्रम में (16 मई व 1 जुलाई) आकस्मिक अवकाश देय नहीं है परन्तु मध्यावधि व शीतकालीन अवकाश के साथ लिया जा सकता हैं। सत्र में शेष रहे अवकाश स्वत निरस्त हो जाते हैं ।
आकस्मिक अवकाश आधे दिन का भी देय है पूर्वान्ह या मध्याह्न पश्चात् । आकस्मिक अवकाश पर सामान्य वेतन वृद्धि तिथि प्रभावित नही
होती व पूरी वेतन वृद्धि का लाभ मिलताहै ।
(अ) नव नियुक्ति पर शिक्षक आकस्मिक अवकाश देय :
(1) प्रथम तीन माह तक की सेवा में- 5 दिन।
(2) तीन माह से अधिक परन्तु छ: माह तक – 10 दिन ।
(3) छ: माह से अधिक सेवा पर – 15 दिन
(ब) सेवानिवृत्ति वर्ष में कर्मचारी को देय आकस्मिक अवकाश:
वित्त विभाग के आदेश एफ 1 (8) विवि (नियम)/95 दिनांक 20-2-2002 जो दिनांक 1-1-2002 से प्रभावशील है , के अनुसार सेवा निवृत होने वाले कर्मचारियों को वर्ष में निम्नानुसार आकस्मिक अवकाश देय है।
(1) तीन माह या कम सेवा – 5 दिन
(2) तीन माह से अधिक किन्तु छ: माह तक – 10 दिन
(3) छ: माह से अधिक सेवा पर – 15 दिन
(स) वेकेशन से नान वेकेशन या विपरित में आने पर उस कर्मचारी का आ. अवकाश जिसका वहाँ उपयोग नहीं किया गया है समाप्त हो जायगा और नये स्थान पर निम्न प्रकार से देय होगा।
(1) तीन माह तक की अवधि शेष रहने पर – 3 दिन
(2) तीन माह से अधिक अवधि शेष रहने पर -7 दिन
आकस्मिक अवकाश के साथ अन्य प्रकार के अवकाश जैसे पी. एल. रुपान्तरित अवकाश इत्यादि नहीं लिया जा सकता है । प्रतिवर्ष प्रत्येक शिक्षक का सी. एल. पोस्टिंग रजिस्टर संधारित किया जाय ।
विशिष्ट आकस्मिक अवकाश
(अ) पुरुष कर्मचारी को 6 व महिला कर्मचारी को 14 दिन का अवकाश बन्ध्याकरण हेतु।
(ब) पत्नी द्वारा बन्ध्याकरण कराने पर पुरुष कर्मचारी को 7 दिन।
(स) निरोधावकाश – छूत की बीमारी होने पर 21 दिन।
(द) शैक्षिक अवकाश – मा. शिक्षा बोर्ड की बैठक या परीक्षा कार्य , राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत सेमीनार, कार्यगोष्ठी में भाग लेने पर देय मान्यता प्राप्त शिक्षक संघों के पदाधिकारियों को बैठकों में भाग लेने हेतु एक कलेण्डर वर्ष में 10 दिन देय
(य) कर्मचारी खिलाड़ियों को स्थानीय -राज्य स्तर के टूर्नामेन्ट में भाग लेने पर 10 दिन व राष्ट्रीय स्तर पर खेल में भाग लेने पर एक कलेण्डर वर्ष में 30 दिन का अवकाश देय ।
उपार्जित अवकाश (P. L.)
प्रत्येक शिक्षक को एक कलेण्डर वर्ष की सेवा पर आगामी 1 जनवरी को 15 दिनों का उपार्जित अवकाश देय है। जो सेवा पुस्तिका में जुड़ता है ।
सत्र के बीच में नियुक्त कर्मचारी को दिसम्बर तक कुल पूर्ण माह की सेवा का 11/4 (सवा) दिन प्रतिमाह की दर से अवकाश आगामी 1 जनवरी को जोड़ दिया जायगा । उपार्जित अवकाश लेने निर्धारित फार्म जीए. 45 में आवेदन करना चाहिये । जिस माह में वेतन वृद्धि की तिथि हो, उस माह के प्रथम कार्य दिवस को उपस्थित होना चाहिये अन्यथा अवकाश समाप्ति के बाद (आ. अवकाश के अतिरिक्त) कार्य ग्रहण की तिथि से वेतन वृद्धि का लाभ देय होगा। उपार्जित अवकाश अवधि के बीच में आने वाले रविवार व अन्य राजपत्रित अवकाश गणना तिथि यथावत रहेगी में सम्मिलित होते हैं । सेवा पुस्तिका में अधिकतम 300 दिनों का उपार्जित अवकाश जुड़ सकता है जिसका सेवा निवृत्ति पर नकद भुगतान किया जाता है ।
वेकेशन में राजकीय कार्य करने पर 3 दिनों पर 1 उपार्जित अवकाश की दर से अधिकतम 15 दिनों का उपार्जित अवकाश देय है जो एक कलेण्डर वर्ष में कुल दिन 30 से अधिक नहीं होगा परन्तु स्थानान्तरण पर देय योग काल का उपभोग नही करने पर जुड़ने वाले उपार्जित अवकाश अतिरिक्त होंगे ।
सरकार द्वारा स्थानान्तरण किये जाने पर एक हजार कि.मी. तक की दूरी वाले स्थान पर कार्यग्रहण करने हेतु 10 दिनों का योगकाल देय है जिसका उपभोग नहीं करने पर निर्धारित प्रारुप में इसके बदले 10 पी. एल. सेवा पुस्तिका में जुड़ाने हेतु आवेदन करना चाहिये । यह अवकाश आहरण एवं वितरण अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाता है। उपार्जित अवकाश का उपभोग करने के बाद कार्य ग्रहण हेतु प्रार्थना पत्र देना चाहिये ।
पी. एल. का नकद भुगतान= (सेवा निवृत्ति के दिन देय वेतन +डीपी* डी ए ) x उपार्जित अवकाश बकाया दिन/30
अर्द्ध वेतन अवकाश
एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर कर्मचारी को 20 दिनों का अर्द्धवेतन अवकाश देय है । इस अवकाश अवधि में कर्मचारी को प्राप्त वेतन का आधा वेतन व उस पर डी. ए. आदि देय है । यह अवकाश सेवा पुस्तिका में प्रतिवर्ष जुड़ता रहता है।
रूपान्तरित परिवर्तित अवकाश
यह अवकाश बीमारी पर प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा जारी रोग प्रमाण पत्र पर या विभाग द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रम करने की अनुज्ञा प्राप्त करने पर उस अवधि का दुगना अवेतन अवकाश काटकर पूर्ण वेतन पर स्वीकृत किया जाता है ।
रोग प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश का उपभोग करने के बाद चिकित्सक द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर ही कार्य ग्रहण प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाय ।
अदेय अवकाश
जब स्थाई कर्मचारी के खाते में कोई अवकाश बकाया नहीं हो तो कर्मचारी को अर्द्ध वेतन पर 90 दिनों का अदेय अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है जिसका बाद में जुड़ने वाले अर्द्ध वेतन अवकाश में से समायोजन कर लिया जायगा। चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर 180 दिनों का भी दिया जा सकता है । पूरे सेवाकाल में अदेय अवकाश 360 दिनों से अधिक देय नहीं हैं।
असाधारण अवकाश
निम्न परिस्थितियों में कर्मचारी को असाधारण अवकाश देय है :
1 जब कोई अवकाश शेष नहीं हो
2 जब अन्य अवकाश शेष हो परन्तु कर्मचारी लिखित में असाधारण अवकाश हेतु आवेदन करें।
3 इसमें किसी प्रकार का वेतन भता नहीं दिया जाता हैं।
4 इस अवकाश अवधि से वेतन वृद्धि तिथि आगे बढ़ जाती है परन्तु चिकित्सा प्रमाण पर वेतन वृद्धि तिथि अप्रभावित रहती हैं।
अध्ययन अवकाश
तीन वर्ष की सेवा के बाद राज्य कर्मचारी को विभाग के हित में पूर्व अनुमति से अध्ययन पाठ्यक्रम पूरा करने के लिये पूरे सेवाकाल में अधिकतम 2 वर्ष का देय है इस अवकाश काल में अर्द्ध वेतन व महंगाई भता देय है ।
प्रसूति अवकाश
महिला कर्मचारी को पूरे सेवाकाल में दो बार पूर्ण वेतन भत्तों पर प्रसूति अवकाश देय है । यदि दो बार प्रसूति अवकाशों के उपरान्त भी कोई जीवित सन्तान नहीं बचे तो तीसरी बार भी प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जाता है । स्वीकृति हेतु प्राधिकृत चिकित्सक का प्रमाण पत्र आवश्यक है।
एक बार में 180 दिनों की प्रसूति अवकाश देय है । नये नियम 103 A के अनुसार पुरुष राज्य कर्मचारी को भी दो बार पेटरनिटी लीव देय होगी । यह लीव पूर्ण वेतन पर पत्नी के कन्फाइनमेन्ट होने से 15 दिन पूर्व से शिशु जन्म के तीन माह के अन्दर कुल 15 दिनों तक की देय हैं । इस अवधि में लीव का उपयोग न करने पर स्वत निरस्त हो जायगी। (आदेश F1(43) FD/GR. 2)183 दि. 6-12-2004
“A Male Government servant with less than two surviving children may be granted paternity leave (maximum two times) for a period of 15 days during confinement of his wife i, e. 15 days before to three months after child birth, and if
such leave is not availed of within this period, it shall be treated as lapsed”.
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य प्रकार के भी अवकाश होते है जिनकी जानकारी हेतु नवीनतम आरएसआर पुस्तिका का अध्ययन किया जाय ।