महाराणा प्रताप जयंती विशेष: मायरा की गुफा।
महाराणा का जन्मदिवस-
महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत , १५९७ तदानुसार ९ मई १५४० को हुआ था। आज के पुनीत दिन समीचीन है कि हम उन्हें याद करे व उन स्थानों के सरंक्षण का प्रयास करे जो कि उनसे सम्बंधित रहे है।
मायरा की गुफा-
मोड़ी पंचायत (गोगुंदा),उदयपुर से दूरी, करीब 30
किमी मायरा गुफा स्तिथ है। यहाँ हिंगलाज माता का स्थान है। इस गुफा का महाराणा प्रताप के जीवन मे विशेष स्थान है। महाराणा से सम्बंधित यह स्थल मेवाड़ की विरासत है एवम सरंक्षण का नितांत अभाव है।
मायरा की गुफा अत्यंत सुरक्षित-
प्रकृति की गोद मे बसी इस गुफा के तीन रास्ते है एवम यह कसी भूलभुलैया से कम नही है इसीलिए यह बहुत सुरक्षित भी थी। इसमे महाराणा का शस्त्रागार, रसोई व चेतक को बांन्धने का स्थान भी उपलब्ध रहा है। यह प्रकृति और इतिहास दोनों ही दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
महाराणा आजादी के दीवाने-
हिंदुआ सूर्य व महान देशभक्त महाराणा प्रताप ने हल्दी घाटी के युद्ध से पूर्व व पश्चात यहाँ समय व्यतीत किया था। आज सम्पूर्ण विश्व मे “हल्दीघाटी के युद्ध” को विशेष सम्मान से देखा जाता है क्योंकि यह युद्ध विराट सत्ता के समक्ष स्वतंत्रता व मानवीय मूल्यों का युद्ध था जिसमे प्रताप ने जीवन देकर भी मूल्यों की रक्षा की थी।
मायरा प्रताप का सुरक्षित स्थान-
महाराणा को राजमहलों से दूर रहकर अपना युद्ध जारी रखने व सुरक्षित रहने हेतु अनेक गुप्त व सुरक्षित स्थान तलाशने पड़े थे। इन्ही स्थानों में से एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान “मायरा की गुफा” है।
एडवेंचर टूरिज्म का स्थान-
आज इस जगह का अत्यंत महत्व है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से हमारे लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। उदयपुर क्षेत्र की इस विशालतम गुफा को देखने व एडवेंचर टूरिज्म के रूप में काफी लोग यहां आते भी है।इस प्रकार के महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा व सरंक्षण से आगामी पीढ़ी को सन्देश भी मिलेगा एवम पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत लाभदायक है।
कैसे पहुँचे मायरा की गुफा-
इस स्थान तक पहुँचने हेतु आपको उदयपुर के उत्तर पश्चिम में 35 किलोमीटर दूर गोगुन्दा पहुँचना होगा। गोगुन्दा आरावली की पहाड़ियों में स्तिथ सुरम्य व रमणीय स्थान है। इसी गोगुन्दा में महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था। महाराणा ने इसे अपनी राजधानी घोषित करके यहीं से अपने कार्यो का संचालन भी किया था।
सादर।