छिछोरे फ़िल्म : आधुनिक शिक्षा व्यवस्था पर कठोर प्रहार करती एक फ़िल्म।
मोम रैंकर, डेड रैंकर, बेटा लूजर।
वर्त्तमान शिक्षा व्यवस्था पर तीखे तंज व आधुनिक युग मे सफलता के लिए जुंझते समाज का मानवीय रिश्तों पर पड़ने वाले असर को पेश करने वाली कहानी है “छिछोरे”। साजिद नाडियाडवाला की इस फ़िल्म का निर्देशन नितेश तिवारी ने किया है। फ़िल्म के प्रमुख कलाकार सुशांत सिंह, श्रद्धा कपूर, वरुण शर्मा, प्रतीक बब्बर, तुषार पांडे है।
आदित्य व माया दोनो टॉप के रैंकर है पर बेटा नही। इसलिए बेटा राघव लूजर के तमगे के साथ जीने से बेहतर मरना पसंद करता है। ये कहानी है लेकिन किसी ना किसी की सच्चाई है। बाकी कहानी बच्चें को घायलावस्था में उसको समझाने की है। उसको जिंदगी की हकीकत समझाने के प्रयास में पिता के पुराने दोस्त हेल्प करते है।
सब मिलकर यह कोशिश करते है कि उस नादान बच्चे को बस इतना समझा सके कि जिंदगी सिर्फ सफलता का नाम ही नही बल्कि असफलता का सिलसिला भी है । पिता अपने सारे लूज़र्स फ्रेंड को उसको समझाने में जुटा देता है कि लूजर होना अपराध नही है।
म्यूजिक
“खैरियत तो पूछो, कैफियत तो पूछो” बड़ा सुंदर व मौके के लिए बना हुआ गीत है। ” हम बिगड़े हुए इंसान थे, शैतान की संतान थे” भी मोंजु है।गाना “कंट्रोल” भी ठीक है। ” ये दूरियां फिलहाल है” एक सुंदर गीत है।
फ़िल्म के सम्वाद:
1. आपके बेटे का केस डिफरेंट है क्योंकि वो जीना ही नही चाहता।
2. आज तुझे बताऊंगा की मैं कितना बड़ा लूजर था।
3.तू ठीक हो जा यार सब ठीक हो जाएगा।
4. यार उसको कहानी अच्छी तो लग रही है पर सच्ची नही।
5. ऐसे भी क्या बिजी हो गए यार की दोस्तो के भी ठिकाने नही याद रहे।
6. अबे। मोम की गुड़िया थीं तू। तेरे को मर्द बनाया हमने।
7. अरे तुम स्माल टाउन लड़को की एक ही प्रोब्लम है कि लड़कियों से बात करने में फटती है।
8. अरे मम्मी। तुम तो छुपी रुस्तम निकली।
9. हम जियेंगे H4 के लिए और मरेंगे H10 की लड़कियों के लिए।
10. We are the face of institute. और फेस तो चकाचक ही लगेगा।
11. फेमिली कैसी भी हो उसको छोड़ा तो नही जाता।
12. वो “डेरेक” था। सबसे बड़ा लूजर ओर हम सबका बाप।
13. एडिसन को बर्फ के बारे में पूछ रहा है?
14.अगर तुम में से कोई ऐसा है कि वो अपने”लूजर” टैग के साथ खुश है? अगर है तो वो कमरे से बाहर जा सकता है।
15. हम करेंगे कोशिश। और कर भी क्या सकते है?
16. भाईसाब के कमरे में किताब कम शराब ज्यादा खुलती थी।
17. जिसको हम रूप की रानी समझें थे वो चोरों का राजा निकला था।
18. हाँ। भोंकता हूँ। लेकिन जिस दिन काटूंगा पेट मे 14 तो पक्के है।
19. हम हार सिर्फ इसलिए रहे है क्योंकि हमको हार का बुरा लग रहा है जिस दिन हमको हार से फटने लगेगी जीत जाएंगे।
20. GC जीतने के लिए हमने प्लेज़ तो ले ली लेकिन इस प्लेज़ ने हमारी वाट लगा थी।
21. हम सब बाहर बैठ कर मैच देख रहे थे लेकिन ये साला मैदान के अंदर बैठ कर भी मैच देख रहा था।
22. दुसरो से हार के लूजर कहलाने से बढ़िया है कि खुद से हार के लूजर कहलाना।
23. तिकड़म नम्बर 1, प्रेशर कुकर। सामने वाली टीम पर इतना प्रेशर डालो की वो प्रेशर से मर जाये।
24. तेरी रगों में एसिड है उसको पेपर पर निकाल।
25. अगर बन्दा गोल्डन आवर में नही सोएगा तो गोल्ड कैसे जीतेगा?
26. एक टाइम था जब हम बिना बात किये भी एक दूसरे को समझ लेते थे अब हम बात कर सकते है लेकिन समझ नही सकते।
27. तिकड़म नम्बर 3: हाथी के दांत दिखाने के और पर खाने के कुछ और ओर।
28. दर्द हमको दर्द तब दे सकता है जब हम उसको इजाजत दे। आज मैं यह इजाजत दर्द को नही दूंगा।
29. सक्सेस के बाद का प्लान सबके पास है लेकिन फेलियर के बाद का प्लान किसी के पास नही है।
30. इतनी कोशिश के बाद भी आप हर गए।
31. तुम्हारा रिजल्ट नही बल्कि कोशिश डिसाइड करती है कि तुम विनर हो या लूजर।
32. जिंदगी में सबसे ज्यादा इम्पोटेंट है खुद जिंदगी।
अभिनय:
सुशांत सिंह, श्रद्धा कपूर व वरुण शर्मा ने कमाल का अभिनय किया है। तीनों के साथ अन्य कलाकारों ने भी अपनी भूमिका से पूरा न्याय कर फ़िल्म को जीवंत बना दिया है।
रिकमंडेशन:
हम फ़िल्म को 4/5 नम्बर देते है। फ़िल्म समाज के हित मे सन्देश देती है। आज यह आवश्यक है कि हम आने वाली पीढ़ी की मानसिकता को संभाले उनको जिंदगी का आनंद लेना सिखाये। उनको सिर्फ पैसा कमाने की मशीन बनने से रोके। हम फ़िल्म को देखने के स्ट्रांग रिकमंडेशन करते है।