मणिकांचन योग: जिसके अनुपालन से बदल जाती है तकदीर की तस्वीर।
सामान्य भाषा में ” सोने पर सुंगध” या ” सोने पर सुहागा” का प्रचलित अर्थ है- किसी भी श्रेष्ठ वस्तु (या संज्ञा) की गुणवत्ता में और अधिक वृद्धि होना । दोनों ही मुहावरों का अर्थ एक ही है, और ये साहित्य में प्रचलित है । इससे भी बेहतर स्तिथि को “मणिकांचन योग” के रूप में देखा जाता है।
मणिकांचन योग से तातपर्य एक -दूसरे के गुणों की प्रबलता में अभिवर्द्धन की स्तिथि से है। जिस प्रकार एक मणि युक्त स्वर्ण की अंगूठी में मणि की शोभा स्वर्ण की उपस्थिति से बढ़ती है उसी प्रकार स्वर्ण की शोभा भी मणि की उपस्थिति से बढ़ जाती हैं।
एक शिक्षक के नाते हर अध्यापक का यह प्रयास रहता है कि वह अपने विद्यार्थियों को “मणिकांचन योग” से अलंकृत करके राष्ट्र व मानवता को प्रतिष्ठित करें। एक विद्यार्थी अपने जीवन में निम्न 2 गुणों को अंगीकृत करता हैं।
1. योग्यता।
2. निष्ठा।
योग्यता-
एक विद्यार्थी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने छात्र जीवन मे अध्ययन हेतु मिले अवसर का पूर्ण सदुपयोग करे केवम अपने द्वारा चयनित विषय में विशेषज्ञता हासिल करें। आज के दौर में सफलता प्राप्ति हेतु आवश्यक है कि विषय की माइक्रो-नॉलेज अर्जित की जाए।
किसी भी विषय में पारंगत होने पर उस विद्यार्थी की सोच, दृष्टिकोण व जीवनशैली में विषय का दर्शन होने लगता है। आधुनिक समय मे पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इसके एक उदाहरण है। पूर्व राष्ट्रपति महोदय राष्ट्र के सर्वोच्च सवैधानिक पद पर आरूढ़ होने के उपरांत भी स्वाध्याय करते रहे एवम जब भी उन्हें अवसर मिलता वे विद्यार्थियों के मध्य पहुंचकर अपने व विद्यार्थियों के ज्ञान का निरन्तर परिमार्जन करते रहें।
निष्ठा।
निष्ठा वह मूल्य है जो योग्यता से भी अधिक कारगर साबित हो सकती है। एक व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने राष्ट्र व समाज के मूल्यों की पहचान करें एवम उनके लिए पूर्ण निष्ठावान जीवन व्यतीत करके राष्ट्र व समाज के निर्माण में निरन्तर योगदान करें।
श्री हनुमानजी का जीवन चरित्र निष्ठा का एक अतुलनीय उदाहरण है। श्री राम के प्रति उनकी निष्ठा ने उनको परम् पद दिलवाया। इसी प्रकार जन्मभूमि से निष्ठावान रहने के कारण महाराणा प्रताप का नाम गौरव से लिया जाता है। निष्ठा के क्षेत्र में ऐसे अनेक उदाहरण है। वर्तमान में भी करोड़ो के पैकेज को छोड़कर राष्ट्रसेवा में आने वाले विद्यार्थियों की तादाद बहुत बड़ी है।
मणिकांचन योग: निखरता है प्रतिभा।
जब योग्यता में निष्ठा का समावेश हो जाता है तब व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। ऐसा व्यक्तित्व राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
हर शिक्षक का दायित्व: कक्षा में जाग्रत करें मणिकांचन योग ।
अगर हम एक अभिभावक एवम शिक्षक के रूप में प्रत्येक नागरिक में दोहरे गुण एक साथ विकसित करना जारी रखे अर्थात एक विद्यार्थी की योग्यता को निरन्तर परिमार्जित करते रहे एवम उसकी निष्ठा राष्ट्र के प्रति विकसित करने हेतु उन्हें निरन्तर संस्कारित करते रहे तो मणिकांचन योग जाग्रत होगा एवम इस योग की सिद्धि से निश्चित रूप से समृद्धशाली राष्ट्र का निर्माण सुनिश्चित होगा। कहते भी है कि मणिकांचन योग से तकदीर की तस्वीर बदल जाती है।
जैसा डॉ श्री भल्लूराम खीचड़, सीबीईओ, मंडोर ने समझाया।