राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (NDD) :8 अगस्त 2019 को आयोजित होगा।
मृदा से संचारित कृमि सक्रमण (Soil Transmited Helminths) भारत के लिए जन स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण विषय है। एक अनुमान के अनुसार देश में 1-14 वर्ष के लगभग 22 करोड़ बच्चो को आँत में कृमि का खतरा है। साक्ष्य यह बताते है कि कृमि सक्रमण बच्चो के शारीरिक विकास, एनीमिया, पोषण और ज्ञान सम्बन्धी विकास के साथ-साथ विद्यालय की उपस्थिति पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है। निश्चित समयातराल पर कृमि मुक्त (डिवर्मिंग) करने से कृमि संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है।
वर्ष 2019 मे भी देशभर में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (नेशनल डिवर्मिंग डे) कार्यक्रम को व्यापक स्तर पर एक निश्चित दिवस पर कम लागत, सरल एव सुरक्षित तरीके से आयोजित किया जाएगा ताकि भारत में लाखों बच्चो पर कृमि सक्रमण के हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सके।
राजस्थान सरकार राज्य के बच्चो के स्वास्थ्य स्तर में सुधार करने हेतु प्रतिबद्ध है। कृमि सक्रमण को कम करने हेतु राजस्थान में वर्ष 2012 से विद्यालय और आंगनबाडी आधारित कृमि मुक्ति कार्यक्रम व्यापक स्तर पर आयोजित किया जा रहा है। राज्य में इस कार्यक्रम को वर्ष 2015, 2016, 2017 और 2018 में भी राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग (ICDS) के सामुहिक प्रयास और एविडेस एक्शन के तकनीकी सहयोग से सभी 1 से 19 वर्ष के बच्चो को कृमि मुक्त करने हेतु आयोजित किया गया था।
वर्ष 2019 में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 8 अगस्त 2019 को और उसके साथ मॉप-अप दिवस दिनाक 19 अगस्त 2019 को राज्य के समस्त विद्यालयो (राजकीय एव निजी), समस्त ऑगनवाड़ी केन्द्रों और प्रथम बार सम्मिलित किये जा रहे सभी महाविद्यालयो (राजकीय एवं निजी), तथा तकनीकी संस्थानो पर आयोजित किया जायेगा।
हम राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को आयोजित करने में स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के योगदान के साथ-साथ अन्य अन्य विभागों के सहयोग द्वारा तीनो विभाग द्वारा इस कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने एवं कवरेज को बढाने हेतु, राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता होती है।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 8 अगस्त 2019 के सफल क्रियान्वयन हेतु तीनो विभागों में समन्वय बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग से आवश्यक समन्वय स्थापित किया जाता है एवं जिला एवं ब्लॉक स्तर पर जिला कलेक्टर और उपखड मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में स्वास्थ्य समिति की बैठक करे, जिसमें स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के अन्य सहयोगी विभागों के अधिकारियो को सम्मिलित किया जाये, जिससे कि कार्यक्रम हेतु योजना निर्माण, क्रियान्वयन और रिपोर्टिग पूर्व निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार सुनिश्चित की जा सके।
इस कार्यक्रम के तहत सभी आँगनबाड़ी कार्यकर्ता 1 से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों (ऑगनबाडी मे पंजीकृत एव ऑगनवाडी में अपंजीकृत बच्चो) और विद्यालय न जाने वाले 6 से 19 वर्ष के बच्चो को एल्बेंडाजोल की गोली अपनी देख रेख में देते हैं।
समस्त विद्यालयो एवम महाविद्यालयों के शिक्षक 6 से 19 वर्ष तक के बच्चो को जो कि प्राईवेट विद्यालय, महाविद्यालय, प्राईवेट शाला पूर्व केन्द्रों, सरकारी विद्यालय,महाविद्यालय, केन्द्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे विद्यालय/महाविद्यालय स्थानीय निकाय द्वारा चलाये जा रहे विद्यालय/महाविद्यालय, मदरसा, आदिवासी क्षेत्र के लिए चलाए जा रहे विद्यालय, सस्कृत विद्यालय/महाविद्यालय इत्यादि में नामांकित है उन्हें एल्बेंडाजोल की गोली अपनी देख रेख मे
देने की व्यवस्था करते है।
WHO की गाइडलाइंस के अनुसार एल्बेंडाजोल की गोली सभी के लिए सुरक्षित है। प्रतिकूल घटना होने पर समय से सूचना ए. एन. एम. के माध्यम से चिकित्सा अधिकारी प्रभारी द्वारा खण्ड स्तरीय नोडल अधिकारी (BCMO) एप जिला स्तरीय नोडल अधिकारी (Deputy CMHO F.W.) तथा राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग को दी जा सकती है ।
(राजस्थान के विशेष सन्दर्भ में देखे)