दीपावली 2019 : दीपक की जंग जारी रहेगी।
आजादी मिल भी गई और बहत्तर वर्ष भी गुजर गए। पीछे मुड़ कर देखे तो अनेक वो मुकाम मुस्कुराते दिखेंगे जिनको हासिल करना कभी मंजिल थी आगे देखे तो बहुत सफर शेष है। यात्रा अनवरत जारी रहेगी, हम चलते रहेंगे उस दिए की मानिंद जो जल भी रहा है और अंधेरे से निरन्तर लड़ भी रहा है।
शिक्षा कल भी मुद्दा थी, शिक्षा आज भी मुद्दा है शायद कल भी यह मुद्दा बनी रहे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर लंबे समय से काम हो रहा है व इसका ड्राफ्ट भी जारी हो चुका है। यह ड्राफ्ट सभी के लिए उपलब्ध है व बहुत जल्दी ही यह नीति हमारे कल को संयोजित करेगी।
शायद शिक्षा ही एकमात्र ऐसा मुद्दा है जिस पर हर आदमी अपनी ओपिनियन आवश्यक रूप से रखता है। आधुनिक शिक्षा चाहे हमे ” सा विद्या या विमुक्तये” के अनुसार चाहे हमको मोक्षदायिनी नही भी हो सकी है लेकिन हमको पढ़ना व तदनुसार अभिव्यक्त होना सिखा चुकी है।
नई शिक्षा नीति में हम बेशक कितने भी नवाचारों को क्यों नही अपना ले लेकिन यह तय है कि भविष्य में भी हमको विशुद्ध सनातन शिक्षा मॉडल मिल सकना नितांत असम्भव ही रहेगा। शिक्षा नीति जब भी नए कलेवर में आती है तब अपने शब्द नई सोच जरूर लाती है लेकिन आडम्बर भी उनके साथ चिपक ही जाते है।
मोटे तौर पर 1986 के बाद 2019 में बड़ा परिवर्तन दिखाई देने वाला है । करीबन 30 साल से हम एक ही कॉन्सेप्ट में पढ़ कर निकले है। कम्प्यूटर्स, उदारीकरण, वैश्वीकरण , उदारता, व विकास आज हमारे अस्तित्व से जुड़ गए है एवम निरन्तर जारी ही रहेंगे। कुछ बदलाव जरूर आ सकेंगे लेकिन आमूलचूल परिवर्तन मात्र नई नीति से सम्भव हो सकना एक दिवास्वप्न ही साबित होगा।
नई शिक्षा नीति के चलते निश्चित रूप से माध्यमिक व उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रारूप, संचालन, पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तक व सोच में परिवर्तन परिलक्षित होंगे लेकिन मुख्य मुद्दा अब भी प्राथमिक शिक्षा ही बना रहेगा। असल मे देखे तो प्रारम्भिक शिक्षा ही तो मूल शिक्षा है बाकी तो विकास है एवम विकास स्वयं को समायोजित करता रहता है।
प्रारम्भिक शिक्षा में भाषा, परिवेश, गणित व विज्ञान की समझ ही केंद्र बिंदु है एवं यह महान उत्तरदायित्व उस शिक्षक का ही रहेगा जो दीपक बन कर शाश्वत अंधेरे के प्रति अपनी लड़ाई जारी रखेगा। अंधकार व अशिक्षा तो मौलिक स्तिथि है उसको तोड़ने के लिए ही प्रकाश रूपी शिक्षा का जन्म हुआ है।
उन समस्त शिक्षकों को प्रणाम जिनकी जंग जारी है। प्राथमिक तौर पर हमको शिक्षा के सर्वांगीण विकास हेतु इस दिशा में गम्भीर प्रयत्न करने ही होंगे। उनकी सेवा शर्तों व सुविधाओं का विस्तार व उनका मान-सम्मान ही उज्ज्वल भविष्य की कुंजी बनेगा।
सादर।
सुरेन्द्र सिंह चौहान।
suru197@gmail.com