
पार्लियामेंट अटैक 2001 | पार्लियामेंट अटैक के शहीदों को पूरे देश की तरफ से आज सलाम
13 दिसम्बर 2001 वह काली दिनाँक थी, जिस दिन भारत में लोकतंत्र के मंदिर संसद (Parliament) यानी पार्लियामेंट पर दुर्दान्त आतंकवादियों ने गम्भीर आतंकवादी हमला किया था। आज देश भर में उन शहीदों को याद किया जा रहानहे जिन्होंने अपने प्राणों का उत्सर्ग करके संसद व देश के गौरव की रक्षा की थी। आज संसद में सभी लोगो ने नम आँखों से उन शहीदों को नम आँखों से याद करते हुए सलामी दी।

पार्लियामेंट पर आतंकवादी हमला पर 13 दिसम्बर 2001 को हुआ था
13 दिसम्बर 2011 को 11-35 सुबह आतंकवादियों ने पुलिस की वर्दी में संसद पर हमला किया था। दिल्ली पुलिस के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर जीतराम ने सबसे पहले आतंकवादियों की गाड़ी पर नोटिस किया था।
संसद पर हमले का मुख्य अभियुक्त अफजल गुरु था
संसद हमला 2001 के लोकतंत्र के मंदिर को नेस्तनाबूद करने की साजिश थी, लेकिन भारत के सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए इन आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। इस आतंकवादी हमले में कुल 14 लोग मारे गए थे व कुल 18 व्यक्ति गम्भीर रूप से घायल हुए थे। संसद पर पर हमले की घिनौनी साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफ़ज़ल गुरु को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने संसद पर हमले की साजिश रचने के आरोप में अफ़जल गुरु को फाँसी की सजा सुनाई थी।
संसद हमले को सफलता से रोका गया था।
संसद में अचानक हुए इस खतरनाक आतंकवादी हमले को दिल्ली पुलिस व सीआरपीएफ के बहादुर जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर रोका था। आतंकियों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शहीद हुए। 16 जवान इस दौरान मुठभेड़ में घायल हुए। लोकतंत्र के मंदिर को नेस्तनाबूद करने की साजिश थी, लेकिन भारत के सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए इन आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया था।
संसद पर आतंकी हमले का घटनाक्रम
- जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों ने हमला किया था।
- एक सफ़ेद एंबेसडर कार में आए इन आतंकवादियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करके पूरे हिंदुस्तान को झकझोर दिया था।
- संसद भवन के परिसर में अचानक से आए 5 आतंकवादियों ने 45 मिनट तक लोकतंत्र के इस मंदिर पर गोलियों-बमों से थर्रा कर रख दिया था।
- राष्ट्रपति अफ़ज़ल की दया याचिका खारिज कर दी और सरकार ने उसे फाँसी देकर हमले में शहीद हुए बहादुरों को सही मायने में श्रद्धांजलि दी।
- अफजल को 2013 में दिल्ली के तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फाँसी पर लटकाया गया था।
सम्पूर्ण देश को सुरक्षा कर्मियों पर गर्व रहेगा।
इस अमानवीय व कायर संसद हमले को भारत के वीर सुरक्षा कर्मियों ने अपनी बहादुरी व शौर्य से असफल कर दिया था। भारत की न्यायिक व्यवस्था के तहत अफजल गुरु को उसके अंत तक पहुँचा दिया गया था। आज संसद में देश के अमर।शहीदों को श्रद्धांजलि प्रदान की।
संसद में आयोजित हुआ आज श्रद्धांजलि कार्यक्रम
शहीदों की याद में चंद पंक्तियां
वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है,
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तिहाँ होगा!!
शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले,
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा!!
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