सरकारी विद्यालयों में रिकॉर्ड नामाँकन हुआ है और आशा की जा रही है कि सत्र 2019-20 में पिछले सारे नामाँकन रिकॉर्ड टूट जाएंगे।
राजस्थान राज्य की शिक्षा व्यवस्था में यह नवाचारी युग है एवं संस्था प्रधानों की कटिबद्धता एवम राज्य के प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर माध्यमिक स्तर की उपलब्ध शिक्षा व्यवस्था के कारण आज समाज में राजकीय विद्यालयों के प्रति विश्वास बढा है। आज राजकीय विद्यालयों में प्रवेश लेना प्रत्येक विद्यार्थी व अभिभावक की प्रथम प्रथमिकता बनती जा रही हैं।
राज्य सरकार की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता एवम शिक्षक हित मे लिए गए निर्णयों से शिक्षक समुदाय के मनोबल में इजाफा प्रत्यक्ष देखा जा सकता हैं। राज्य में शिक्षा के प्रति जागरूकता को प्रत्यक्ष अनुभूत किया जा सकता हैं।
संस्था प्रधान पद पर पदस्थापित व नवपदोन्नत साथियों ने स्टाफ के सहयोग से सामाजिक सम्वाद स्थापना व गुणात्मक शिक्षण व्यवस्था को अपना कर राजकीय विद्यालयों को "ग्राम विकास केंद्र" का स्वरूप प्रदान कर एक अत्यंत प्रतियोगी शिक्षण केंद्र बना दिया हैं।
प्रवेशोत्सव की पूर्ण सफलता एवम रिकॉर्ड प्रवेश हेतु निम्न टिप्स सहयोगी हो सकते है-
1. प्रवेशोत्सव को एक औपचारिक कार्यक्रम के रूप में नही लेकर एक उत्सव अभियान के रूप में लेना।
2. अपने स्टाफ से मीटिंग आयोजित करना। मीटिंग में सभी को अपना प्लान लेकर आने हेतु कहना। हर प्लान को डिसकस करके अभिलेख में सहेज कर रखना। सभी के सहयोग से कार्ययोजना का निर्माण। कार्ययोजना के चेकिंग पॉइंट्स, फॉलो अप को तय करना।
3. स्टाफ से मीटिंग के बाद अन्य गणमान्य लोगों, जनप्रतिनिधियों, पूर्व छात्रों, अन्य राजकीय अधिकारियों-कार्मिको, व्यवसायी गणों, मातृ शक्ति के साथ बैठक कर अपने प्लान को डिसकस करना व विभिन्न प्रकार से सहयोग प्राप्त करना।
4. अपने ग्राम का नजरी नक्शा बनाना, केचमेंट एरिया का नक्शा बनाना।
5. स्कूल से नजदीक जहाँ से सर्वाधिक बच्चे आ रहे हो, उन स्थानों पर अपने एक वरिष्ठ साथी को तैनात कर फॉलो अप करना। विद्यालय में आरम्भ की जाने वाली नई योजनाओं का प्रसार करना।
6. स्कूल से नजदीक स्थान जहाँ से बहुत कम बच्चे आ रहे हो, उन कैचमेंट एरिया में स्वयम भ्रमण करके वहाँ के निवासियों व बच्चों से मिलकर उन कारणों को खोजना जो बाधा पहुँचा रहे हैं।
7. जिन आवसीय मोहल्लों से बहुत कम नामाँकन प्राप्त हो रहा है, उस क्षेत्र की कमान स्वयम संभालना। अपनी टीम में उस मौहल्ले की सामाजिक जानकारी रखने वालों को शामिल करना। उन कारणों को समझना जिनकी वजह से उस क्षेत्र से बच्चे नही आते हों। उन कारणों को दूर करने हेतु ठोस कार्ययोजना उस क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों के सामने रखना। उनको विश्वास में लेना, उनसे सहयोग लेना।
8. हमे एक प्रतियोगी के रूप में बाजार में उतरना है अतः हमें अन्य विद्यालयों से प्रीति व प्रतियोगिता दोनों रखनी हैं। यहाँ हम भाग्यशाली हैं क्योंकि हम उनसे बेहतर है- स्टाफ, जमीन, भवन, विजन व कॉस्ट को लेकर। हम उनकी रणनीति को समझ सकते है। उनकी स्तिथि हम जानते है।
9. निजी संस्थान भी हमारे साथी व सहयोगी है लेकिन उनसे सामना करना है। उनके पास दो बड़े हथियार है- इंग्लिश मीडियम ओर दूसरा ट्रांसपोर्ट सुविधा। हमे अपने क्षेत्र में यह प्रचारित करना है कि हमारा इंग्लिश भाषा का स्टाफ शानदार है एवम समाज के सहयोग से ट्रांसपोर्ट भी एडजस्ट किया जा सकता हैं। राज्य की कक्षा 9 वीं की बालिकाओं हेतु साइकल योजना व ट्रांसपोर्ट वाउचर का प्रचार करना।
10. ग्राम के स्थानीय बाजार को आप अपनी प्रवेशोत्सव गतिविधियों का केंद्र बना सकते है। स्थानीय बाजार में होने वाली चर्चा माहौल को गरमाती है। वर्तमान में जिन सार्वजनिक स्थानों पर हमने बालसभा आयोजित की है उन स्थानों को भी हम विद्यालय के प्रवेश हेतु प्रचार-प्रसार का केंद्र बना सकते है।
11. स्थानीय बैंक,बस स्टैंड, अस्पताल, कॉपरेटिव सोसायटी, कार्यालय इत्यादि से सम्पर्क के साथ यहां फ्लेक्स व विज्ञापन सामग्री लगाई जा सकती हैं। उनमें कार्यरत अधिकारी/कर्मचारी वर्ग से सहायता प्राप्त की जा सकती है।
12. एक या दो बड़े चल फ्लेक्स बनाकर रोजाना उनका स्थान परिवर्तन भी लाभकारी हैं।
13. ग्राम पंचायत मुख्य केंद्र है एक संस्था प्रधान को विद्यालय के साथ ही ग्राम पंचायत को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाना चाहिए।
14. ग्राम के पूजा स्थलों पर सुबह शाम सम्पर्क करने से एक साथ कई लोगो के बीच सन्देश फैलाया जा सकता हैं।
15. ग्राम में होने वाली सभा में भाग लेने से सम्पर्क भी बढ़ता है और विश्वास का भाव विकसित होता हैं।
उपरोक्त के अलावा प्रत्येक दिन अपने साथियों से सम्पादित कार्य व आगामी दिन की तैयारी पूछने के साथ खुद के द्वारा सम्पादित कार्य को बतलाकर माहौल में ऊर्जा बनाये रखनी चाहिए।
उपरोक्त मात्र कुछ बिंदु है। प्रत्येक ग्राम की अपनी स्तिथि होती है और उसी के अनुसार कार्ययोजना बनाई जाती हैं। उपरोक्त क्रम में स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं/राजकीय योजनाओं/विशिष्टताओं सम्बंधित ब्रोशर/पेम्पलेट भी बहुत सहयोगी रहता हैं।