स्कूल शिक्षा: क्या शिक्षक को स्कूल में बंदूक रखने की अनुमति होनी चाहिए?
आधुनिक शिक्षा: आखिर शिक्षा पर समाज नियंत्रण क्यों खोता जा रहा हैं।
अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना से प्राप्त नवीन समाचार के अनुसार अब उत्तरी कैरोलिना के जो शिक्षक प्रशिक्षण पश्चात स्कूल में अपने साथ पिस्तौल लेकर जाएंगे उन्हें नए कानून के मुताबिक वेतन अधिक मिलेगा।
ऐसा “स्कूल सुरक्षा अधिनियम 2019” के तहत पारित किया गया है। स्कूल सुरक्षा अधिनियम 2019 बुनियादी शिक्षक प्रशिक्षण से गुजरने वाले शिक्षकों को 5% वेतन वृद्धि देगा। यह “शिक्षक संसाधन अधिकारी” खुले या अन्य तरीके से बंदूकें ले जा सकते हैं। उनके पास पुलिस अधिकारियों के समान गिरफ्तारी की शक्तियां भी होंगी। ऐसी व्यवस्था नए बिल में निर्धारित की गई है।
रिपब्लिकन स्टेट के एक अधिकारी के अनुसार इस बिल के मंजूर होने से स्कुलों की सुरक्षा में सुधार होगा एवम सुरक्षा सम्बंधित व्यय में भी कमी सम्भावित है। इसके दूसरी तरफ अमेरिका के अधिकांश शिक्षक इस विचार के विरोधी है, ऐसा राष्ट्रीय शिक्षा संघ ने 2018 के सर्वेक्षण में पाया गया था कि अधिकांश शिक्षक स्कूल में बंदूक चलाना अथवा रखना नहीं चाहेंगे।
उत्तरी कैरोलिना एसोसिएशन ऑफ एजुकेटर्स के अध्यक्ष मार्क ज्वेल ने बिल को “एक आपदा होने का इंतजार” कहा। ज्वेल के अनुसार स्कुलों में बंदूकों की उपस्थिति सभी को खतरे में डाल सकती है।
उपरोक्त नजरिये में यह भी एक तथ्य है कि अमेरिका में आम नागरिक को अन्य राष्ट्रों के मुकाबले अधिक आसानी से आग्नेयास्त्र प्राप्त हो जाते है एवम विश्व मे सबसे अधिक आग्नेयास्त्र अमेरिका में ही नागरिकों के पास है।
निश्चित रूप से स्कुलों में सुरक्षा परमावश्यक है लेकिन स्कूल में जहाँ शिक्षा का साम्राज्य होता है एवम विभिन्न आयुवर्ग, आयवर्ग, धर्मवर्ग, जातिवर्ग आदि के अलग-अलग तबके से साथ पढ़ने वाले वाले विद्यार्थियों के समूह कार्य करते है, वहाँ पर बंदूकों की उपस्थिति उचित नही ठहराई जा सकती। सुरक्षा के अन्य तरीके भी उपलब्ध है अतः एक शिक्षक कर पास पिस्तौल की उपस्थिति अनेक प्रश्न खड़े करेगी।
आज भारत में हम अमेरिकी तौर-तरीकों की अनुपालना करते है। निश्चित रूप से भविष्य में उपरोक्तानुसार भारत मे भी इसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था हेतु मांग उठ सकती है एवम तदनुसार व्यवस्था निर्धारित हो सकती है।
आज विश्व भर में स्कुलों में विद्यार्थियों द्वारा विद्यालय समय मे सम्पन्न अनेको हिंसात्मक घटनाओं के उदाहरण उपलब्ध है अतः इस दिशा में एक बार पुनः चिंतन की आवश्यकता प्रतीत होती है। निश्चित रूप से विद्यालय, विद्यार्थियों एवम व्यवस्थाओं की सुरक्षा की जानी चाहिए लेकिन शिक्षक के हाथ में कलम बना रहना अपेक्षित है।