
भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘अमृत महोत्सव’ की थीम को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया.
आजादी का अमृत महोत्सव
राष्ट्रपति भवन के मशहूर मुगल गार्डन का नाम अब बदल गया है। अब इसे अमृत गार्डन के नाम से जाना जाएगा। यह गार्डन अब दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक खुलेगा। गार्डन को देखने के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकेगी। इस बार यह गार्डन 31 जनवरी से 26 मार्च तक खुला रहेगा।
मुख्य बिंदु
- भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन उद्यान को अमृत उदयन के रूप में एक नया नाम दिया है.
- अमृत उद्यान का उद्घाटन 29 जनवरी रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया जाएगा.
- अमृत उद्यान 31 जनवरी से 26 मार्च तक दो महीने के लिए जनता के लिए खुला रहेगा.
गुलों से गुलजार है अपना ” अमृत उद्यान “
138 प्रकार के गुलाब, 10,000 से अधिक ट्यूलिप बल्ब और 70 विभिन्न प्रकार के लगभग 5,000 मौसमी फूलों के साथ, उद्यान राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाता है. यह 2003 से हर साल खुलने की अवधि के दौरान 3-6 लाख लोगों को आकर्षित करता है. करीब 330 एकड़ के विशाल क्षेत्रफल में फैले प्रेसिडेंट हाउस का मुख्य आर्कषण भी अमृत उद्यान है, जिसमें कई अलग-अलग प्रजातियों के पौधे हैं,जो कि देखने में बेहद सुंदर है।
राष्ट्रपति भवन के अंदर बना अमृत उद्यान – Rashtrapati Bhavan Garden
हिन्दुस्तान के इस विशालकाय सरकारी निवास भवन के अंदर बना अमृत उद्यान,इस आलीशान भवन के प्रमुख आर्कषणों में से एक है। मुगल और ब्रिटिश वास्तुशैली से निर्मित यह खूबसूरत गार्डन को हर साल फरवरी के महीने में उद्यानोत्सव’ के दौरान जनरल पब्लिक के लिए खोला जाता है।
इस गार्डन में कई औषधीय पौधे समेत, अलग-अलग किस्म के गुलाब और ट्यूलिप के बेहद सुंदर एवं रंग-बिरंगे फूल मौजूद है।

इस गार्डन में 95 फीसदी हिन्दुस्तानी फूल होने के साथ-साथ जापान, जर्मनी आदि देशों के फूलों के रंग भी देखने को मिलता है। यह गार्डन राष्ट्रपति भवन में करीब 13 एकड़ जमीन में फैला हुआ है।
अमृत उद्यान (मुगल गार्डन ) – इतिहास
1920 के दशक में सर एडवर्ड लुटियंस द्वारा डिज़ाइन किया गया, एक अंग्रेजी वास्तुकार, जो अपनी प्रतिभा और पारंपरिक रेखाओं के साथ-साथ आविष्कारों की श्रेणी के लिए प्रसिद्ध है. मुगल गार्डन, जिसे अब अमृत उद्यान के रूप में जाना जाता है, ‘भारत गणराज्य के पहले उद्यान’ हैं. मुगल गार्डन में खूबसूरत छतों, लॉन और फूलों की क्यारियों के साथ मुगल और अंग्रेजी दोनों शैली हैं.
अमृत उद्यान की सैर करते समय ध्यान रखने योग्य तथ्य
वसंत के महीने मे ,एक महीने के लिए मुगल गार्डन, सामान्य जनता के लिए खोला जाता है।गेट नंबर 35से प्रवेश और निकास की व्यवस्था ,सामान्य जनता के लिए की गई है ।
सोमवार के दिन को छोड़कर, बाकी के दिन यह सुबह के 9 बजे से ,दोपहर के 4 बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहता है।
मुगल गार्डन मे प्रवेश नि:शुल्क होता है ,लेकिन कड़ी सुरक्षा जांच के दायरे से होकर,अंदर प्रवेश मिलता है।खाने-पीने की किसी भी तरह की सामग्री, कैमरा,पर्स,छाता जैसी चीजों को, आप अंदर लेकर नही जा सकते।

छोटे आकार के मनी बैग के अलावा ,मोबाइल को अंदर लेकर जाने की, सहज अनुमति मिलती है।
देशी विदेशी पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ से,मुगल गार्डन गुलजार दिखता है।
अगर आप प्रकृति के द्वारा दी हुई चीजों से लगाव रखते हैं तो, मुगल गार्डन की सैर ,आपको नई ऊर्जा से भर देगी । देश विदेश के रंग बिरंगे फूलों की छटा ,यहाँ पर बिखरी दिखती है।
मुगल गार्डन मुख्य रूप से चार भागों मे बॅटा हुआ है। चारो भाग एक दूसरे से भिन्न और अनुपम है ।
मुगल वास्तुकला के अनुरूप, नहरों और फव्वारों को वनस्पतियों के बीच, आकषर्क तरीके से बनाया गया है, रंग बिरंगी वनस्पतियों के बीच जल! आँखों को शीतलता प्रदान करता है ।
बनावट के आधार पर चतुर्भुज आकार का बगीचा,लम्बा बगीचा,पर्दा बगीचा और गोलाकार बगीचा दिखाई देता है।
गेट नंबर 35से अंदर प्रवेश करने के थोड़ी देर बाद ही, सबसे पहले औषधीय महत्व के पौधों की क्यारियां दिखाई देंगी।
इन क्यारियों मे गिलाॅय,लेमन ग्रास,तुलसी की अलग-अलग किस्में,रीठा,ईसबगोल,जैतून के अलावा कई औषधीय महत्व के पौधे नज़र आ रहे थे। इसके बाद आगे बढ़ने पर बोनसाई का बगीचा दिखाई देता है।
बोनसाई को देखकर ,प्रकृति की दी हुई चीजों पर, मानव दिमाग का अतिक्रमण दिखाई देता है।बड़े बड़े छायादार वृक्ष सिमटे से दिखते हैं,गमलों के दायरे मे…
सीमित जगह मे अपनी जड़ों और शाखाओं को फैलाते हुए दिखते हैं।बनावट के आधार पर अगर बगीचों की तरफ नज़र डालें तो
चतुर्भुज आकार का बगीचा – मुख्य भवन से सटा हुआ, और मुगल वास्तुकला की चार बाग शैली की छाप देता है।
लम्बा उद्यान – इसमें गोलाकार आकार में उकेरी गई झाड़ियों के बीच सुन्दर रंग-बिरंगे पौधों की क्यारियाँ आकर्षक लगती हैं।
कर्टेन गार्डन- ऊंची दीवारों से घिरा यह गार्डन गुलाब की क्यारियों से आकर्षक लगता है। दीवारों के किनारों पर लगे एक रंग के चीन नारंगी फल और गुलाब के विभिन्न रंग इस बगीचे की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।
सर्कुलर गार्डन- इसमें साल भर फूल खिलते रहते हैं।
मुगल गार्डन का सबसे खूबसूरत हिस्सा यहां से दिखता है।
तमाम रंगों के फूलों के बीच फव्वारे से निकलती पानी की फुहारें और संगीत अनुपम सौन्दर्य का आभास कराते हैं।
वृत्ताकार उद्यान को देखने के बाद आप मुगल उद्यान के मुख्य भाग से होकर बाहर निकल जाते हैं।
कुछ दूरी तय करने के बाद पेड़ों की छांव में खाने के स्टॉल मिल जाते हैं।
अगर आप मुगल गार्डन के बारे में सोचें तो यहां अकेले गुलाब की 250 से ज्यादा किस्में हैं।
गुलदाउदी की 100 से अधिक किस्में, बोगेनविलिया की 50 किस्में, डाहलिया के सभी रंग
इनके अलावा देशी और विदेशी फूलों की किस्में बहुतायत में देखने को मिलती हैं। मुगल गार्डन को देखने के बाद बाहर निकलते समय प्रकृति की कलात्मकता और सुंदरता देखकर चकित रह जाते हैं।
मनुष्य कृत्रिम रूप से कितने भी रंग बना ले, लेकिन प्रकृति द्वारा दिए गए रंग अनमोल हैं, निराले हैं।