राजस्थान सिविल सेवा आचरण नियम 1971
अनुचित तथा अशोभनीय आचरण (Improper and Unbecoming Conduct) – राजस्थान सिविल सेवा आचरण 1971 में वर्णित नियम तथा इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी आदेश/न्यायिक निर्णय के द्वारा निम्नांकित कृत्य अनुचित तथा अशोभनीय आचरण की श्रेणी में माने जाएंगे, जो आचरण नियमों के विरुद्ध है। यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू किया गया तथा ये नियम सिविल सेवाओं के पदों पर नियुक्त सभी व्यक्तियों पर लागू होंगे।
कोई भी सरकारी कर्मचारी जो इन नियमों का अतिक्रमण करता है अनुशासनिक कार्यवाही का दायी होगा। (आ.दि.5.3.2008)
1. कोई भी सरकारी कर्मचारी जो-
(i) किसी ऐसे अपराध का दोषी करार दिया गया हो, जिसमें नैतिक पतन शामिल हो।
(ii) जनता के बीच पद की गरिमा के विरुद्ध अशोभनीय व्यवहार, लोकहित के विरुद्ध कार्य करना।
(iii) किसी प्राधिकारी को बेनाम/ झूठे नाम से पत्र व्यवहार करना।
(iv) अनैतिक जीवन व्यतीत करना।
(v) स्थानान्तरण पर नहीं पहुँचना, जानबूझकर गलत उद्देश्य से अनुचित कार्य करना, गलत बयानी करना, उच्चाधिकारियों को धमकी देना।
(vi) सेवा संबंधी मामलों में राजनैतिक दबाव।
(vii) वरिष्ठ अधिकारी के विधिपूर्ण आदेशों या अनुदेशों की अवज्ञा करता है या वरिष्ठ अधिकारी की अवज्ञा करता है। (नियम 4 (v) आ.दि. 17.8.2001)
(viii) बिना किसी पर्याप्त और युक्तियुक्त कारण के अपने पति या पत्नी माता-पिता, अवयस्क या निःशक्त संतान का जो अपना भरण पोषण स्वयं करने में असमर्थ है, भरण पोषण करने में उपेक्षा करता है या इन्कार करता है या उनमें से किसी की भी देखभाल जिम्मेदारी पूर्ण नहीं करता है। (नियम 4 vi)
(ix) लोकोपयोग जैसे बिजली/जल की व्यवस्था करने वाले किन्ही विभागों, कम्पनियों को वित्तीय
नुकसानकारित करने की दृष्टि से जान बूझ कर मीटर या किसी भी अन्य उपकरण या बिजली/जल लाईन में गड़बड़ करता है। (नियम 4 (vii) आदेश दिनांक 9-10-2002)
2. सरकारी आवास, सर्किट हाउस, ट्रांजिट हॉस्टल, डाक बंगला आदि में अनाधिकृत निवास (नियम 4 क)
3. सरकारी भूमि पर अतिक्रमण –
15.08.96 को या इसके बाद सरकारी भूमि या स्थानीय निकायों/नगर विकास न्यासों/विकास प्राधिकरण/राजस्थान आवासन मण्डल/पंचायती राज संस्थाओं या किसी भी अन्य सरकारी
उपक्रम की किसी भी भूमि पर किसी भी रीति से, किसी भी अतिक्रमण में अंतर्वलित होता है या अतिक्रमण करता है।
4. प्रत्येक कर्मचारी अपने नियंत्रक अधिकारी को अपने बारे में एफ.आई.आर. दर्ज किये जाने पलिस द्वारा गिरफ्तारी या किसी न्यायालय द्वारा किसी दोष सिद्धी के सम्बन्ध में तात्विक जानकारी देगा।
(नियम 4 घ आ. दि. 05.03.2008)
5. अवकाश के समय किसी प्रकार की सेवा या नियोजन सक्षम अधिकारी की पूर्व स्वीकृति बिना स्वीकार करना (नियम-6)
6. राजनीति और चुनावी गतिविधियों में भाग लेना (नियम 7)
7. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ/जमात-ए-इस्लामी/सिम्मी/आनंद मार्ग के कार्यकलापों में भाग लेना।
8. गैर कानूनी हड़ताल में भाग लेना।
9. सरकार की पूर्व अनुमति के बिना दूरदर्शन, रेडियो, समाचार पत्र, पत्रिका में वक्तव्य/लेख देने पर, परन्तु ऐसा प्रकरण/ लेख जो शुद्ध रूप से साहित्यिक/कलात्मक या वैज्ञानिक प्रकार का हो पर प्रतिबन्ध नहीं है। (नियम 10)
10. अनधिकृत रूप से संसूचना देना –
कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार के किसी सामान्य या विशेष आदेश के अनुसरण में या उसे सौंपे गये कर्तव्यों के सद्भावनापूर्ण अनुपालना में, के सिवाय, किसी ऐसे सरकारी कर्मचारी या किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई शासकीय दस्तावेज या उसका कोई भाग अथवा कोई सूचना नहीं देगा, जिसे वह ऐसा दस्तावेज या सूचना देने के लिये प्राधिकृत नहीं है। (नियम 13)
11. एक राज्य कर्मचारी एवं उसका परिवार तथा अन्य कोई व्यक्ति उसकी ओर से कोई उपहार स्वीकार नहीं करेगा। उपहार में निःशुल्क परिवहन सुविधा, आवास व्यवस्था एवं अन्य आर्थिक लाभ शामिल हैं।
वैवाहिक, वर्षगांठ एवं अन्य सामाजिक समारोह के अवसर पर एक कर्मचारी निम्न सीमा तक उपहार स्वीकार कर सकता है-
उक्त से अधिक राशि के उपहार प्राप्त करने पर सरकार को सूचित करेगा।
(नियम 15 प.4 (1)कार्मिक/क-3/94 दिनांक 17.8.01)
12. विभागाध्यक्ष की पूर्व अनुमति के बिना अध्ययन करना। (नियम 17)
13. परोक्ष या अपरोक्ष रूप से व्यापार/वाणिज्य/अन्य संस्थाओं में नियोजन व पत्नी के नाम से बीमा व्यवसाय । (नियम 18)
14. 5000/-रू. से अधिक लेन-देन की सूचना सक्षम अधिकारी को नहीं देने पर। (नियम 19)
15. चल-अचल सम्पति क्रय की सूचना – प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अपने स्वयं या अपने परिवार के सदस्य के नाम धारित चल अचल सम्पति के प्रत्येक लेन देन की सूचना विहित प्राधिकारी को करेगा। यदि ऐसी सम्पति का मूल्य निम्न से अधिक है-
राज्य सेवा के अधिकारी-10,000/-रु.
अधीनस्थ एवं लिपिक वर्गीय सेवा-5000/-रु.
च.श्रे.कर्मचारी-2500/-रु. (नियम 21(3)
16. च.श्रे.क. से अधिकारियों के घर पर निजी कार्य लिया जाना। (आ.दि. 13.10.79)
17. सेवा सम्बन्धी मामलों में राजनैतिक दबाव डलवाने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकेगी।
(प.4(6) कार्मिक/क-2/78 दिनांक 7.5.99)
18. कार्यरत महिलाओं के यौन उत्पीड़न का प्रतिषेध-
कोई सरकारी कर्मचारी किसी महिला के साथ उसके कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के किसी कृत्य में लिप्त नहीं होगा। यौन उत्पीड़न में ऐसा अवांछनीय यौन संबंधी नियत व्यवहार चाहे प्रत्यक्षतः हो या अन्यथा सम्मिलित है,
जैसे-
(क) शारीरिक सम्पर्क और अग्रसरता।
(ख) यौन सम्बन्धों की सहमति की माँग या उसके लिए अनुरोध।
(ग) यौन सम्बन्धी फब्तियाँ।
(घ) कोई अश्लील साहित्य दिखाना।
(ड.) यौन प्रकृति का कोई अन्य अवांछनीय शारीरिक, मौखिक या क्रियात्मक व्यवहार।
प्रत्येक सरकारी कर्मचारी जो किसी कार्यस्थल का प्रभारी है,उसके प्रसंज्ञान में आने पर ऐसे कार्यस्थल पर किसी महिला को यौन उत्पीडन से बचाने के लिए समुचित कदम उठाएगा। (नियम 25 क, आ.प.9 (2) 59 / कार्मिक / क-3
/ 97 दि. 14.6.2000) यौन उत्पीडन मामले में जाँच की विशेष प्रक्रिया निर्धारित। (प.9(2)(59)कार्मिक/क-3/97 पार्ट। दिनांक 14.02.2006, लेखानियम, अप्रैल, 06,पृ. 11)
19. निजी कम्पनी/संगठन के व्यापार के उत्थान के लिये आयोजित समारोह में राज्य कर्मचारी पूर्वानुमति से ही भाग ले सकेंगे। (एफ.4(6) कार्मिक/क-3/78 दिनांक 11.08.2000)
20. एम-वे नामक कम्पनी व इस प्रकार की अन्य कम्पनियों का राज्यकर्मी द्वारा प्रचार-प्रसार करना आचरण नियमों के विरुद्ध माना जायेगा। (प.9(5)(9) कार्मिक/क-3/2001 दिनांक 20.03.2001)
21. दूसरा विवाह – कोई सरकारी कर्मचारी पति/पत्नी के जीवित होते हुए दूसरा विवाह नहीं करेगा, परन्त यदि व्यक्तिगत विधि के अधीन विवाह अनुज्ञेय है, तो वह दूसरा विवाह कर सकेगा (नियम-25)
22. प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अपनी नियुक्ति होने पर पद ग्रहण के समय या यथास्थिति अपने विवाह के एक माह के भीतर अपने नियंत्रक अधिकारी को अपने पिता, पत्नी एवं श्वसुर द्वारा हस्ताक्षरित इस प्रभाव की घोषणा प्रस्तुत करेगा कि उसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष और किसी भी रूप में दहेज नहीं लिया है। (आ. दि.5.32008 (नियम 25 क (2))
23. ऐसा कोई सरकारी कर्मचारी जिसके 1.6.2002 को या इसके पश्चात् दो से अधिक संतान होने पर कार्यवाही के लिये दायी होगा। (नियम 25 ग) आ.दि. 26.6.01 बाल-विवाह को प्रोत्साहित करने पर भी अनुशासनिक कार्यवाही के लिये दायी होगा। (नियम 25 ग)
24. अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को सम्पति का ब्यौरा 31 जनवरी तक प्रतिवर्ष देने के निर्देश। (एफ.13 (40)कार्मिक / गो.प्र./2001 दिनांक 7.1.2002)
25. अधिकारीगण का शिलान्यास व उद्घाटन करना दुराचरण की श्रेणी में समझा जाएगा ।
(आदेश (प.19 (16)प्र.सु./सम./ अनु.1/95 दिनांक 23.4.2002)
26. राज्य कर्मचारी बैंक व अन्य संस्थाओं से ऋण लेकर चल, अचल एवं अन्य परिसम्पतियाँ सृजित करते हैं उसका विवरण तथा ऋण की कुल राशि एवं भुगतान किश्तों का विवरण अपने नियंत्रण अधिकारी को अनिवार्य रूप से देंगे। (प.4(1)का/क-3/जांच/05 दिनांक 18-11-2005)
27. अधिकारी/ राज्य कर्मचारी राज्य सरकार की अनुमति से ही सोसायटी, संस्था एवं क्लब से सम्बद्धता रख सकेंगे। (प.9(50)कार्मिक/क-1/98 दिनांक 7.6.2006)
28. उच्च अध्ययन की स्वीकृति वांछित शर्तों पर ही स्वीकृत होगी ।(प.9(5)(30) कार्मिक/क-3
/ जाँच/2004 दिनांक 18-11-2006, लेखानियम, नवम्बर,2006, पृष्ठ10)