ठग्स ऑफ हिंदुस्तान: फ़िल्म समीक्षा, सवांद एवम विश्लेषण।
अमिताभ बच्चन का “आज़ाद” औऱ आमिर खान का “फिरंगी मल्लाह” का स्वरूप “ठग्स ऑफ हिंदुस्तानमें नजर आया है। अमिताभ की गम्भीरता, आमिर की ताजगी, वॉक्स टेक्निक की करामात, केट की तेजी , फ़ातिमा शेख के एक्शन और पूरी टीम की मेहनत आपको स्क्रीन से नजरें हटानी नही देगी। 300 करोड़ की लागत से बनी इस 164 मिनट की फ़िल्म को यशराज बैनर ने प्रोड्यूस किया है।
फ़िल्म की कहानी सन 1839 में फिलिप मिलोज टेलर के द्वारा लिखित उपन्यास पर आधारित है। फ़िल्म को विजय कृष्ण आचार्य ने जबरदस्त तरीके से स्क्रीनप्ले लिख कर निर्देशित किया है। फ़िल्म पीरियोडिक जेनर की देशभक्ति ड्रामा प्रस्तुति है।
फ़िल्म की कहानी अंग्रेजी हुकूमत के बागी खुदाबक्श आजाद को पकड़ने के अंग्रेजी प्रयासों की कहानी है। इस हेतु वे डबल क्रॉस ठग फिरंगी मल्लाह की सहायता लेते है। आजाद के देशभक्ति जुनून को देखकर फिरंगी का मन बदलता है और वह भी आजाद की राह चुन लेता है। आखिरकार देशभक्ति ही सबसे बड़ा उद्देश्य होता है।
फ़िल्म का म्यूजिक बेहतर है एवम फ़िल्म के मौजूं के मुताबिक बनाया गया है। गीत लेखन व म्यूजिक का निर्माण फ़िल्म को सपोर्ट करता है। फ़िल्म के कुछ गीत यथा “सुरैया, जान लेगी क्या? और “मंजूरे-खुदा” ,लम्बे चलेंगे।
कुछ सम्वाद-
1. जब से गौरी सरकार आई है तब से राजकुमारों को गधा बनाकर रखा है।
2. शेर का शिकार करना है तो बकरी बांधनी पड़ेगी, दरवाजे पर।
3. आशिक वो होता है जो पूरी दुनिया के सामने बेख़ौफ़ एलान करें अपनी मुहब्बत का।
4. अंदर से तो पुरा बुरा हुँ , थोड़ा सा बाहर से ही रह गया है।
5. सरकार हम ठग है लेकिन आजाद तो बागी है,हमारी औकात उसके सामने कुछ नही है।
6. तुमरी विद्या, हमरी बुद्धि, जिंदगी भर मौज मस्ती।
7. डरते तो हम बहुत है लेकिन आप सिखाएंगे तो बहादुरी भी सीख जाएंगे।
8. तुम्हारे बुलाने पर तो मुझे जन्नत से भी लौटना पड़ेगा।
9. किसान ही तो हम लोग, या कभी थे।
10. हर इंसान को एक ऐसा मौका जरूर मिलता जब वो अपने आप को बदल सकता है।
11. ये तो वक्त बताएगा कि तुम हमारी सबसे बड़ी खोज हो या सबसे बड़ी गलती।
12. धोखा स्वभाव है मेरा।
13. ताकत इंसान में नही उसके इरादों में होती है।
14. आजाद एक इंसान नही बल्कि आजाद एक सोच है, वो पहले से बड़ा खतरा है।
15. आजादी बेच रहे है हुजूर, दो-चार हजार का मुंह मत देखिए।
16. हम अच्छे-बुरे से बेहतर है, हम जिंदा है और ये ही सबसे जरूरी है।
17. दुश्मन की गर्दन पकड़ लेता है ये ईमान ओर तब तक पीछा नही छोड़ता जब तक कि दुश्मन की जान नहीं निकल जाए।
18. गुलामी किसी की अच्छी नही, चाहे अपनो की चाहे गोरों की। तुम जो करने जा रहे हो वह सरफिरों का काम है। सरफिरे हमे पसन्द है।
19. अगर आजादी है गुनाह तो कबूल है ये सजा। अब वही होगा ,जो होगा मंजूरे खुदा।
20. वक्त से बड़ा कोई हथियार नही है।
अमिताभ बच्चन बहुत लंबे समय बाद एक्शन रोल में दिखे। उनको परफॉर्म करते देखना एक दैवीय शक्ति का अहसास करने जैसा है। वह यकीनन आल टाइम सुपर स्टार है। आमिर खान का परफेक्शन उनका स्टाइल है और यहां मौजूद है। कैफ को लंबे समय बाद पुरानी स्टाइल में देखा गया। फ़ातिमा से उम्मीदे बंधती है।
फ़िल्म क्यों देखे?
फ़िल्म का जोनर एक्शन, थ्रिलर प्लस देशभक्ति है। फ़िल्म की स्पीड तीव्र और नॉन स्टॉप एक्शन है। म्यूजिक बहुत बेहतर है। एंटरटेनमेंट फुल है। फोटोशूट क्वालिटी बहुत बेहतर है। फ़िल्म हेतु लोकेशन शानदार और माहौल टोटलिटी में बहुत डिफरेंट है। स्टारकास्ट शानदार और उनकी अदायगी दमदार है। इन सबके अलावा उम्मीद है कि इसका अगला पार्ट भी बनेगा।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
सुरेंद्र सिंह चौहान।